फांसी की सजा से बचने के लिए निर्भया के दोषी विनय ने एक और तिकड़म अपनाया है। 2012 दिल्ली गैंगरेप के दोषी विनय ने तिहाड़ जेल की दीवार में अपना सिर मार लिया है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा कि 16 जनवरी को निर्भया के दोषी विनय ने जेल की दीवार से सिर मारा, जिसमें वह मामूली रूप से घायल हो गया। इससे पहले विनय तिहाड़ जेल में भूख हड़ताल पर चला गया था।
विनय तिहाड़ जेल के तीन नंबर सेल में अकेला बंद है। 16 फरवरी को उसने दीवार में सिर और मुक्का मारा, जिससे वह घायल हो गया। सेल में ही डॉक्टर ने उसका उपचार किया था। सेल के बाहर बैठे वार्डन भी बचाने के लिए नहीं पहुंचा था। जेल के सूत्रों का कहना है कि वह तनाव में आ गया है, जिसकी वजह से उसने ऐसा किया। जेल सूत्रों की मानें तो दोषी विनय को मनोचिकित्सक से भी दिखाया गया था।
दरअसल, दोषी विनय के सारे कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विनय शर्मा की याचिका को खारिज कर उसके फांसी का रास्ता साफ कर दिया है, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी। बता दें कि बीते दिनों फांसी से बचने के लिए दोषी वियन ने नया हथकंडा आजमाते हुए भूख हड़ताल पर बैठ गया था। हालांकि, कोर्ट ने तिहाड़ जेल के प्रशासन को कानून के अनुसार विनय का ध्यान रखने के निर्देश दिए।
Tihar Jail official: One of the death row convicts of 2012
— ANI (@ANI) February 20, 2020
Delhi gang-rape case, Vinay had attempted to hurt himself by banging his head against a wall in his cell, on 16th February. He had received minor injuries.
The four convicts of the case will be executed on 3rd March.
दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार दोषियों को तीन मार्च सुबह छह बजे फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने चारों दोषियों -मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को फांसी देने के लिए यह मृत्यु वारंट जारी किया है। यह तीसरी बार है कि इन चारों के लिए मृत्यु वारंट जारी किये गये हैं।
सबसे पहले फांसी देने की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी। लेकिन 17 जनवरी के अदालत के आदेश के बाद इसे टालकर एक फरवरी सुबह छह बजे किया गया था। फिर 31 जनवरी को निचली अदालत ने अगले आदेश तक चारों दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उनके सारे कानूनी विकल्प खत्म नहीं हुए थे।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
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