बिहार में गुरुवार को आसमानी बिजली कहर बन कर टूटी। 83 लोगों की जिंदगी लील गई। लगभग डेढ़ दर्जन जिलों में भारी बारिश के साथ आकाशीय बिजली गिरने से लगभग 40 लोग झुलस कर घायल भी हुए हैं। इनमें कई की हालत गंभीर है।
सबसे अधिक लोगों की जान गोपालगंज जिले में गई। यहां ठनका गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 10 लोग घायल हुए हैं। वहीं मधुबनी में दंपती सहित आठ लोग ठनका की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे।
उत्तर बिहार में 22 लोगों की मौत हुई है। लगभग दर्जन भर लोग झुलस गये जिनका अभी विभिन्न जगहों पर इलाज चल रहा है।
चंपारण और मिथिलांचल में सर्वाधिक मौतें हुईं। मधुबनी में आठ, मोतिहारी और दरभंगा में ठनका गिरने से चार-चार लोगों की मौत हो गई। बेतिया और समस्तीपुर में दो-दो, सीतामढ़ी में एक और शिवहर में एक मौत हुई।
वहीं कोसी, सीमांचल और पूर्वी बिहार के जिलों में वज्रपात से 17 लोगों को मौत हो गयी, जबकि नौ लोग घायल हैं। सबसे ज्यादा बांका में पांच लोगों की मौत हुई, पूर्णिया में तीन, जबकि सुपौल और खगड़िया में दो-दो लोगों की जान गई। इसके अलावा सहरसा, मधेपुरा, किशनगंज, जमुई और भागलपुर जिले में वज्रपात से एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। वहीं ठनका की चपेट में आने से खगड़िया में सात और किशनगंज तथा
भागलपुर में एक-एक व्यक्ति घायल हैं।
वहीं, नवादा के वारिसलीगंज में चार सहित आठ, सीवान में अलग-अलग जगहों पर तीन और औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड में ठनका गिरने से तीन की मौत हुई। जबकि जहानाबाद के मखदुमपुर और छपरा के बनियापुर स्थित तख्त भिठी में ठनका गिरने से एक छात्रा की मौत हो गई।
भारी बारिश के बीच वज्रपात ने मधुबनी जिले में दो परिवारों को उजाड़ दिया। यहां घोघरडीहा में खेत में काम कर रहे पति-पत्नी की मौत ठनका गिरने से हो गई। वहीं, फुलपरास में एक ही परिवार के पिता, पुत्र व बहू की दर्दनाक मौत हो गई।
- बिजली कड़कने के दौरान पेड़ के नीचे खड़े न रहें
- बिजली के खंभों और ऊंचे वृक्षों से दूर ही रहें
- जल्द से जल्द किसी मकान में आश्रय लें
- लोहे की वस्तुओं से भी पर्याप्त दूरी बनाए रखें
- बिजली के उपकरणों का उपयोग नहीं करें
- खुले अथवा खेतों में मोबाइल उपयोग न करें
- ऊंची इमारत अथवा पहाड़ की चोटी पर खड़े न रहें
- तालाब या नदी में तैर या नहा रहे हों तो जमीन बाहर निकल आएं
-सिर के बाल खड़े हो रहे हों तो आसपास खतरा हो सकता है, बचें
- अपने हाथों से बालों को ढंककर सिर घुटनों में छुपाकर बैठ जाएं
- भवनों, सार्वजनिक इमारतों पर तड़ितचालक अवश्य लगाएं
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