कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए जारी 'लॉकडाउन (बंद) के कारण मांग कम होने से देश में बिजली की खपत मई महीने में 14.16 प्रतिशत घटकर 103.02 अरब यूनिट रही। एक साल पहले इसी महीने में यह 120.02 अरब यूनिट थी। हालांकि मई महीने में बिजली की खपत अप्रैल की तुलना में बढ़ी है। अप्रैल महीने में इसमें 22.65 प्रतिशत की कमी आयी थी। कोरोना वायरस महामारी और देशव्यापी बंद के कारण पूरे अप्रैल महीने में बिजली की मांग कम रही थी।
मई का आंकड़ा बताता है कि सरकार की आर्थिक गतिविधियों की मंजूरी और पारा 45 डिग्री से ऊपर पहुंचने से बिजली खपत सुधरी है। बिजली मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार पिछले महीने कुल बिजली खपत 103.02 अरब यूनिट रही जो एक साल पहले इसी माह में 120.02 अरब यूनिट थी। आंकड़े के अनुसार अप्रैल में बिजली खपत 22.65 प्रतिशत घटकर 85.16 अरब यूनिट रही थी जो एक साल पहले 2019 के इसी माह में 110.11 अरब यूनिट थी। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी को
फैलने से रोकने के लिये 25 मार्च से देशव्यापी बंद की घोषणा की थी। इसके कारण अप्रैल के साथ मई में वाणिज्यिक और औद्योगिक मांग कम रही।
मई महीने में बिजली की अधिकतम मांग 26 मई को 1,66,420 मेगावाट रही जो एक साल पहले इस महीने 1,82,550 मेगावाट की अधिकतम मांग की तुलना में 8.82 प्रतिशत कम है। इसी प्रकार, अप्रैल में बिजली की अधिकतम मांग 1,32,770 मेगावाट रही जो पिछले साल 2019 के इसी महीने मे 1,76,810 मेगावाट के मुकाबले 25 प्रतिशत कम है।
वाणिज्य और औद्योगिक मांग कम होने के साथ इस साल अप्रैल मे मौसम कुछ ठंडा रहने से मांग कम रही। माह के दूसरे पखवाड़े में भी तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा। हालांकि 4 मई से 31 मई के दौरान कई आर्थिक गतिविधियों में छ्रट दी गयी। इससे औद्योगिक और वाणिज्यिक मांग में तेजी आयी। इसके अलावा पारा चढ़ने से भी बिजली की मांग बढ़ी। विशेषज्ञों का मानना है कि एक जून से रियायतें बढ़ने के साथ आने वाले दिनों में बिजली की मांग बढ़ेगी।
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