रायपुर: राष्ट्रीय डेंगू दिवस 16 मई को भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की सिफारिश के साथ मनाया जाता है ताकि डेंगू के बारे में जन-जागरूकता पैदा की जा सके । इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से विशेष रूप से विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होगा। कार्यक्रम के जरिए डेंगू ट्रांसमिशन सीजन शुरू होने से पहले देश में बीमारी के नियंत्रण के लिए निवारक उपायों और तैयारियों को तेज करने का आह्वान होगा। साथ ही जनजागरूकता के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को विषेष रूप से जानकारी दी जाएगी।
इसके साथ ही मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया और डेंगू के प्रति जन-जागरूकता चलाने के लिए जून माह को मलेरिया रोधी माह और जुलाई माह को डेंगू रोधी माह के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान बीमारी के लक्षण और उपचार के बारे में जानकारी समुदाय स्तर पर दी जाएगी। वहीं पोस्टर, पाम्पलेट और लघु नाट्य के माध्यम से लोगों को मच्छर नहीं पनपने की सीख दी जाएगी। स्कूल-कॉलेज और अन्य सार्वजनिक स्थानों में जनजागरूकता चलेगा।
क्या है डेंगू
डॉ. बीके राय जिला मलेरिया अधिकारी रायपुर के मुताबिक डेंगू एक वेक्टर जनित बीमारी है जो एक गम्भीर बीमारी है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो यह घातक हो सकता है। डेंगू 4 में से 1 बारीकी से संबंधित डेंगू वायरस के कारण होता है। ये वायरस वेस्ट नाइल संक्रमण और यहां तक कि पीले बुखार से संबंधित हैं।
डेंगू के लक्षण - डेंगू बुखार के लक्षण इसके संक्रमित होने के 6 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। अचानक और तेज बुखार डेंगू बुखार के
सबसे आम लक्षणों में से एक है। अन्य लक्षणों में आंखों के पीछे दर्द, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, मतली, थकान, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते आना होता है।
डेंगू का निदान
डेंगू का निदान रक्त परीक्षण की मदद से किया जाता है जो इसमें वायरस और एंटीबॉडी की जांच करने में मदद करता है। डॉ. विमल राय ने बताया कि बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है परहेज और संतुलित आहार लेकिन अगर बीमार हो गये तब भी खान-पान में ध्यान रखकर घातक परिणाम से बचा जा सकता है। खासकर डेंगू बुखार का इलाज सबसे महत्वपूर्ण होता है। डेंगू बुखार से संक्रमित लोगों को बहुत सारे तरल पदार्थ लेने और प्रमुखता से डॉक्टर से सहायता लेने के लिए कहा जाता है। ऐसी स्थिति में बिना देर लगाए , तुरंत नजदीकी अस्पताल जाना चाहिए। क्योंकि सावधानी रखकर ही बीमारी से बचा जा सकता है।
रखें सावधानियां
कूलर और अन्य छोटे कंटेनरों (प्लास्टिक के कंटेनर, बाल्टी, इस्तेमाल किए गए ऑटोमोबाइल टायर, वाटर कूलर, पालतू पानी वाले कंटेनर और फूलों के फूल) से पानी सप्ताह में कम से कम एक बार हटाया जाना चाहिए। उपयुक्त लार्विसाइड्स का उपयोग जल भंडारण कंटेनरों के लिए किया जाना चाहिए जिन्हें खाली नहीं किया जा सकता है। पानी के भंडारण कंटेनरों को ढक्कन के साथ कवर किया जाना चाहिए। मच्छरों के काटने से रोकने के लिए दिन के समय में भी सावधानी रखनी चाहिए। ट्रांसमिशन सीज़न (बरसात के मौसम) के दौरान, सभी व्यक्ति ऐसे कपड़े पहन सकते हैं जो हाथ और पैर को कवर करते हैं। मच्छरदानी का इस्तेमाल सोते समय किया जा सकता है।
Comments