दिखावटी शक्ति छोड़ समय पर रखें भरोसा वो खुद ब खुद आपकी शक्ति का प्रदर्शन करेगा

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दिखावटी शक्ति छोड़ समय पर रखें भरोसा वो खुद ब खुद आपकी शक्ति का प्रदर्शन करेगा

19-08-2019 17:37:29

एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में राजा के दरबार में एक विद्वान पंडित था। राजा पंडित की बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित थे। एक दिन भरे दरबार में राजा ने पंडित से कहा कि आप तो बहुत विद्वान हैं, लेकिन आपका पुत्र मूर्ख क्यों है? ये प्रश्न सुनकर पंडित को कुछ समझ नहीं आया, उसने राजा से कहा कि महाराज आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?

राजा ने कहा कि मैंने उससे पूछा था कि सोने और चांदी में से क्या मूल्यवान है तो वह चांदी को मूल्यवान बताता है। उसे ये भी नहीं मालूम कि कौन सी धातु कीमती है। पूरा दरबार पंडित पर हंसने लगा। उसे बहुत बुरा लगा। वह दरबार में बिना कुछ बोले अपने घर लौट आया।

घर पहुंचकर पंडित ने अपने बेटे से पूछा कि बेटा सोने और चांदी में क्या मूल्यवान है? बेटे ने जवाब दिया कि पिताजी सोना मूल्यवान धातु है।

ये जवाब सुनकर पंडित ने बेटे से कहा कि तुम ये बात जानते हो तो राजा को गलत जवाब क्यों देते हो?

पंडित के बेटे को पूरी बात समझ आ गई। उसने कहा कि पिताजी राजा रोज सुबह मुख्य बाजार में प्रजा से मिलने आते हैं। मैं भी वहां जाता हूं। वे रोज मेरे सामने एक सोने का और एक चांदी का सिक्का रखते हैं और बोलते हैं कि इनमें से जो मूल्यवान है, उसे तुम ले सकते हो।

मैं रोज चांदी का सिक्का उठा लेता है। पूरी
प्रजा मेरा मजाक उड़ाती है, लेकिन मैं सिक्का लेकर घर आ जाता हूं। पंडित ने कहा कि बेटा जब तुम जानते हो कि सोना मूल्यवान है तो तुम सोने का सिक्का क्यों नहीं लेते हो?

बेटा अपने पिता को अंदर कमरे में ले गया और एक संदूक खोलकर दिखाया, उस संदूक में ढेर सारे चांदी के सिक्के थे। पंडित ने कहा कि बेटा इतने सिक्के कहां से आए?

बेटे ने बताया कि रोज सुबह राजा से जो सिक्के मिलते हैं, ये सब वही हैं। जिस दिन मैं राजा के सामने सोने का सिक्का उठा लूंगा, वे मुझे सिक्का देना बंद कर देंगे। सोने के सिक्के के चक्कर में इतने सारे चांदी के सिक्कों का नुकसान करना बुद्धिमानी नहीं है।

पंडित को पूरी बात समझ आ गई, वह समझ गया कि उसका बेटा मूर्ख नहीं, बल्कि बुद्धिमान है। अगले दिन पंडित अपने बेटे को और उस संदूक को लेकर दरबार पहुंचे। राजा को पूरी बात बता दी।

पूरी बात मालूम होने के बाद राजा ने भी पंडित के बेटे की प्रशंसा की और सोने के सिक्कों से भरा एक संदूक उपहार में दे दिया।

कथा की सीख

इस कथा की सीख यह है कि हमें हमारी शक्ति का दिखावा नहीं करना चाहिए। कई बार अपनी शक्ति दिखाने के चक्कर में हमारा ही नुकसान हो जाता है। जब शक्ति दिखाने का सही समय आए, तब ही शक्ति दिखानी चाहिए। उस समय सभी को मालूम हो जाएगा हमारी ताकत के बारे में।

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