प्याज़ की कीमते हुई ज्यादा आम आदमी भी परेशान

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प्याज़ की कीमते हुई ज्यादा आम आदमी भी परेशान

Sakshi Dobriyal 22-09-2019 15:11:55

प्याज अब एक बार फिर आम लोगों के आंसू निकालने लगा है. बीते एक सप्ताह में प्याज के दाम (Onion Price) में दोगुनी बढ़ोतरी हो चुकी है. आम आदमी के किचन बजट को झटका देते हुए प्याज अब 80-90 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर पहुंच गया है. करीब एक सप्ताह पहले यह 40-45 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर था. आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

भारी बारिश और बाढ़ से आवक घटी
अग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में खुदरा दकानदारों से बात करने के बाद लिखा है कि प्याज उत्पादन करने वाले राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति की वजह से प्याज की कीमतों में इतनी तेजी देखने को मिल रही है. भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से उत्तर भारत में प्याज की नई फसल की सप्लाई नहीं हो पा रही है.

इस रिपोर्ट में एक खुदरा प्याज विक्रेता के हवाले से​ लिखा गया है कि केरल, कनार्टक, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ राज्यों में भारी बारिश की वजह से प्याज की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है. बाजार में बेहतर क्वालिटी वाले प्याज की कमी होने के बाद आने वाले दिनों
में प्याज की कीमतों में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है. इस विक्रेता का कहना है कि अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह तक प्याज की कीमतों में तेजी जारी रहेगी.


बताते चलें कि अंतिम बार प्याज की कीमतों में इतनी तेजी साल 2015 में दर्ज की गई थी. उस दौरान बाढ़ से फसल बर्बाद होने के बाद प्याज की कीमतें 100 रुपये ​प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई थीं.
एक अन्य विक्रेता ने कहा कि कई किसान आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार देखते हुए प्याज के स्टॉक को बाजार में नहीं ला रहे हैं. हर साल यही हाल रहता है. बेहतर मुनाफा कमाने के लिए प्याज के स्टॉक को होल्ड किया जाता है और जब भाव बढ़ जाता है तो इसका फायदा उठाया ताकि घरेलू बाजार में प्याज की सप्लाई में कमी नहीं आए. इसके लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अधिसूचना जारी की थी.


देशभर के कई अन्य शहरों में भी प्याज की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है. प्याज के भाव को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह ही न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी 850 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया था. सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया था 



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