हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए आम तौर पर गाड़ियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन इसमें सीमेंट इंडस्ट्री का योगदान ट्रकों से ज्यादा है। सीमेंट इंडस्ट्री 6.9% ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। जबकि दुनियाभर में ट्रकों से 6.1% ग्रीन हाउस गैसें निकलती है। यह दावा ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में किया गया है।
सीमेंट कंपनियों के पास इन गैसों के उत्सर्जन को कम करने का तरीका नहीं है, लेकिन वैकल्पिक तकनीक अपनाने से सीमेंट लागत बढ़ जाती है। यूरोपियन सीमेंट एसोसिएशन के अनुसार, एक टन सीमेंट बनाने में आधा टन कार्बन डाई ऑक्साइड गैस निकलती है, जबकि एक ट्रक 2000 किमी की दूरी तय करने में भी इतनी गैस का उत्सर्जन नहीं करता।
सीमेंट प्रोडक्शन के लिए एक खास किस्म की रासायनिक प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें कार्बन का
उत्सर्जन बहुत ज्यादा होता है। इस सेक्टर में दो तिहाई हानिकारक गैसों का उत्सर्जन लाइम स्टोन के जलने से होता है। इसके जलने के लिए भट्टी का तापमान 1400 डिग्री सेल्सियस तक करना पड़ता है। लाइम स्टोन जलने पर बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस छोड़ता है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी डब्ल्यूईओ के अनुसार, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में स्टील इंडस्ट्री का योगदान 5.1% है। ट्रकों से 6.1% और कारों से 7.9% ग्रीन हाउस गैसें निकलती हैं। अन्य माध्यमों में जैसे बिजली प्रोडक्शन, कृषि और फोरेस्ट्री आदि से 73.8% ऐसी हानिकारक गैस निकलती हैं।
दुनिया की दूसरी नंबर की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी लाफार्ज ने कार्बन उत्सर्जन मुक्त (सीओ-2) सीमेंट का उत्पादन शुरू किया है, लेकिन इसकी कीमत अधिक होने के कारण ग्राहक इसे खरीदना नहीं चाहते हैं।
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