अफ्रीका का इरीट्रिया इस आधुनिक दौर में खासा पिछड़ा है। देश में एक भी एटीएम नहीं है। एक महीने में बैंक से 23,500 हजार रुपए से अधिक नहीं निकाल सकते। यहां सिम बमुश्किल ही मिल मिलती। टीवी में वही चैनल आते हैं, जो सरकार दिखाना चाहती है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय भी लोगों को नियम याद रखने पड़ते हैं।
इरीट्रिया 1993 में इथियोपिया से आजाद हो गया था, लेकिन आज भी यहां राष्ट्रपति इसायास अफेवेर्की की पार्टी का बोलबाला है। सरकार ने दूसरी विपक्षी पार्टी बनाने पर बैन लगा रखा है। मीडिया स्वतंत्र रूप से कुछ लिख नहीं सकता और सरकार के आलोचकों को जेल भेज दिया जाता है। युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है।
इरीट्रिया में एरीटेल एकमात्र टेलीकॉम कंपनी है, जिसे सरकार नियंत्रित करती है। इसकी सर्विस बेहद खराब है। इंटनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इरीट्रिया में इंटरनेट का इस्तेमाल महज 1% आबादी ही कर पा रही है। मोबाइल से बात करने के लिए सिम कार्ड खरीदना भी आसान नहीं है। सिम स्थानीय प्रशासन की मंजूरी के बाद ही मिलती है। सिम मिलने के बाद भी इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि इसमें मोबाइल डाटा ही नहीं होता। सिम के लिए आवेदकों की संख्या ज्यादा होने के कारण यह आसानी से नहीं मिल पाती। नतीजतन लोगों को कॉल करने के लिए पीसीओ का रुख करना पड़ता है।
स्थानीय लोग वाई-फाई से ही इंटरनेट का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन यह बेहद धीमा है। सोशल मीडिया का प्रयोग करने के लिए भी सरकार के अपने नियम हैं, जिनका सख्ती से पालन करना जरूरी है। दूसरे देशों से पहुंचने वाले लोगों को अस्थायी सिम लेने के लिए पहले आवेदन करना पड़ता है, जिसमें दो से तीन लग जाते हैं। देश छोड़ते वक्त सिम लौटाना भी होता है।
बैंक में रकम जमा करने और निकालने के भी नियम हैं। एक महीने में केवल 23,500 रुपए ही निकाल सकते हैं। एक स्थानीय निवासी के मुताबिक, उसे एक कार खरीदने 11 महीने तक इंतजार करना पड़ा, क्योंकि हर महीने बैंक से रकम निकालने की सीमा तय थी। शादियों के मामले में छूट दी जाती है। ऐसे बड़े आयोजनों के लिए तय सीमा से ज्यादा रकम निकाली जा सकती है। सरकार ऐसा क्यों करती है, इस पर लोगों का कहना है, यह नियम महंगाई रोकने के लिए
लोगों को बचत करना सिखाता है। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार व्यापारिक गतिविधियों को पसंद नहीं करती, इसलिए पैसों के सर्कुलेशन पर लगाम लगा रखी है।
लोग टीवी पर क्या देखेंगे, इस पर भी सरकार नजर रखती है। पूरे देश में एरी टीवी नाम का एक ही टीवी स्टेशन है। यह सरकारी है। अंतरराष्ट्रीय चैनल देखने के लिए सैटेलाइट डिश होना जरूरी है। समय-समय पर मीडिया में सरकारी पाबंदी से आजादी की मांग उठाई जाती है, लेकिन इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। कई बार कमेटी ऑफ प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट भी सरकारी नियमों का विरोध कर चुकी है, उसने देश की तुलना उत्तर कोरिया से की थी।
एक स्थानीय निवासी के मुताबिक, युवाओं को पासपोर्ट तब तक नहीं दिए जाते, जब तक वे मिलिट्री सर्विस को पूरा नहीं कर लेते। इसके लिए मिलिट्री ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। ट्रेनिंग का हिस्सा लेने के लिए युवाओं को स्थानीय प्रशासन से अनुमति भी लेनी पड़ती है। पासपोर्ट मिलने के बाद भी देश छोड़ना आसान नहीं होता। बाहर जाने के लिए एग्जिट वीजा की जरूरत होती है, जो सरकार आसानी से नहीं जारी करती। सरकार का मानना है कि ये एक बार राज्य छोड़कर चले गए तो वापस नहीं आएंगे। ऐसी स्थिति में युवा गैर-कानूनी तरीके से बॉर्डर पार करते हैं और इथियोपिया या सूडान में जाकर बसते हैं। साल दर साल यहां से अन्य देशों में जाने वाले शरणार्थियों का आंकड़ा बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी के मुताबिक, इरीट्रिया नौवां ऐसा देश है जहां से सबसे ज्यादा शरणार्थी निकलते हैं। 2018 के अंत तक इनकी संख्या 5 लाख 73 हजार थी। वहीं, 2017 में यह आंकड़ा 4 लाख 86 हजार 200 था। देश की जनसंख्या कितनी है, इसका सरकार के पास आंकड़ा नहीं है, क्योंकि कभी गिनती ही नहीं हुई। वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक, देश की आबादी 35 लाख हो सकती है।
राजधानी असमारा की ज्यादातर बनावट इटली से मिलती है। 1930 में इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी असमारा को रोम की तरह विकसित करना चाहते थे। यहां की इमारतें और कॉलोनी इटेलियन आर्किटेक्चर के मुताबिक बनी हैं। यूनेस्को ने असमारा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है।
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