इस परिवार में दबंग नेता बलदेव सिंह( संजय दत्त), उनकी पत्नी सरोज( मनीषा कोइराला), उनका बेटा आयुष (अली फजल) और छोटा बेटा विवान ( सत्यजीत दुबे) है। कुल मिलाकर प्रस्थानम एक साधारण फिल्म है। अगर आप संजय दत्तकुल मिलाकर प्रस्थानम एक साधारण फिल्म है। अगर आप संजय दत्त और दूसरे कलाकारों के जबरदस्त फैन हैं तो आप यह फिल्म देखने जा सकते हैं। वरना अगले हफ्ते का इंतजार करेंसरोज परिवार का शक्ति केंद्र है। उसकी बात खुद बलदेव सिंह भी नहीं टाल सकते। बड़ा बेटा आयुष नैतिक मूल्यों का समर्थक है। काफी लोकप्रिय भी छोटा बेटा विवाह बिगड़ैल रईसजादा है। बात-बात पर हाथापाई लड़ाई-झगड़ा उसके लिए बड़ी आम बात है!
इलेक्शन का दौर है। वोटों का समीकरण, चुनावी भाषण, अपोजिशन का सेटलमेंट, यह सारा हाई वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा साथ-साथ चल रहा है और इसके बीच इस परिवार के आपसी तनाव और उलझे हुए रिश्ते यही मूल विषय है फिल्म प्रस्थानम का। निर्देशक देवा कट्टा की फ़िल्म की विषय-वस्तु तो बहुत रोचक है मगर लेखन विभाग ने गड़बड़ कर दी!
इतने सारे किरदारों को दर्शकों से रूबरू कराने में पूरा पहला हाफ चला गया। सच्ची कहानी शुरू होती है इंटरवल के बाद। तब तक दर्शक ऊब गया होता है! बलदेव सिंह और आयुष के किरदारों को छोड़कर बाकी सारे किरदार सही लिखने के अभाव में बेमानी साबित होते हैं। अभिनय की अगर बात करें तो संजय दत्त, मनीषा कोईराला, जैकी श्रॉफ, चंकी पांडेय, अली फजल और सत्यदेव दुबे जैसे कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों के साथ पूरी तरह न्याय किया है, लेकिन निर्देशक मनीषा कोईराला, जैकी श्रॉफ, चंकी पांडेय, अमायरा दस्तूर जैसे कलाकारों के साथ पूर्ण न्याय नहीं किया है। इनके किरदार कब आते हैं, कब चले जाते हैं, समझ में नहीं आता
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