रेयान पिंटो के मुताबिक, हरा केला थोड़ा कच्चा होता है इसमें स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है। यह आसानी से पचता नहीं है। इसे खाने पर गैस बनने के कारण पेट फूल सकता है। अगर आपको लो-ग्लाइसीमित इंडेक्स वाले केले की तलाश है तो इसे खाया जा सकता है। इसे खाने पर केले में मौजूद स्टार्च टूटटकर ग्लूकोज में बदल जाता है और पके केले के मुकाबले यह ब्लड शुगर धीरे-धीरे बढ़ाता है। स्वाद में कसैला होने की वजह से इसमें ग्लूकोज का स्तर भी कम होता है।
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पीला पड़ने पर केले में स्टार्च कम और शुगर का स्तर बढ़ जाता है। रेयान पिंटो के मुताबिक, मुलायम होने के साथ इसमें मिठास बढ़ जाती है। इसमें मौजूद पोषक तत्वों को शरीर आसानी से ग्रहण कर लेता है। जैसे-जैसे इसका रंग डार्क होता है इसमें मौजूद माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स की मात्रा घटती जाती है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स की पूर्ति के लिए इसे अधिक पकने से पहले ही खाएं।
केले पर भूरे के चित्तियां आने का मतलब है कि इसमें मौजूद स्टार्च ग्लूकोज में बदल चुका है। जितने ज्यादा चित्तियां उतना ज्यादा शुगर। इस अवस्था में इसमें शुगर का स्तर अधिक बढ़ जाता है और डायबिटीज के रोगियों को इसे खाने से बचना चाहिए। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट का स्तर भी ज्यादा होता है जो कैंसर से बचाने में मदद करता है।
एक केला करीब 100 कैलोरी ऊर्जा देता है। इसमें फैट कम होता है और पोटेशियम, फायबर, विटामिन-बी6 और विटामिन 6 काफी मात्रा में पाया जाता है। एक औसत आकार वाले केले 3 ग्राम फायबर मिलता है। एक शोध के मुताबिक, अगर महिलाएं हफ्ते में 2-3 बार केला खाती हैं तो उनमें किडनी की बीमारी होने का खतरा 33 फीसदी तक कम हो जाता है।
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