तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ये पौधा अपने वैज्ञानिक, धार्मिक और ज्योतिषीय गुणों के कारण महत्वपूर्ण है। तुलसी के पौधे का महत्व पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद और भविष्य पुराण के साथ गरुड़ पुराण में भी बताया गया है। इन पौराणिक ग्रंथों के अलावा आयुर्वेद और विज्ञान ने भी इस पौधे को पर्यावरण एवं स्वस्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना है। वहीं अनेक व्रत और धर्म कथाओं में तुलसी का महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा तुलसी जल के बिना पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए ये पौधा घर में होना बहुत जरूरी है।
पद्म पुराण के अनुसार:-
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी।
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी।।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता।
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।। (पद्म पुराणः उ.खं. 56.22)
अर्थ - जो दर्शन करने पर सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है।
गरुड़ पुराण के धर्म काण्ड – प्रेत कल्प में लिखा है कि तुलसी का पौधा लगाने, उसे सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्म के पाप खत्म हो जाते हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खण्ड में लिखा है कि मृत्यु के समय जो तुलसी पत्ते सहित जल पीता है वह हर तरह के पापों से मुक्त हो जाता है।
स्कन्द पुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है और हर दिन उसकी पूजा होती है तो ऐसे घर में यमदूत प्रवेश नहीं करते।
स्कन्द पुराण के ही अनुसार बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित हैं परन्तु तुलसीदल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं हैं। यानी ये
दाेनों चीजें अपवित्र नहीं मानी जाती।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में लिखा है कि घर में लगाई हुई तुलसी मनुष्यों के लिए कल्याणकारिणी, धन पुत्र प्रदान करने वाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देने वाली होती है। सुबह-सुबह तुलसी का दर्शन करने से सवा मासा यानी सवा ग्राम सोने के दान का फल मिलता है।
क्या कहता है आयुर्वेद और ज्योतिष
ज्योतिर्विज्ञान के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां वास्तुदोष नहीं होता है। इस पौधे को घर के पूर्व-उत्तर कोने में लगाना चाहिए। वहीं भविष्य पुराण में भी लिखा है कि तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए। इससे दोष लगता है।
आयुर्वेद में कईं औषधियां तुलसी के पत्तों से मिलकर बनती हैं। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्तों में पारा होता है, इसलिए इसे दांतो से चबाना नहीं चाहिए। ऐसा करने से दांत खराब हो जाते हैं।
तुलसी पर हुई वैज्ञानिक रिपोर्ट और रिसर्च
-वनस्पति वैज्ञानिक डॉक्टर जी.डी. नाडकर्णी का कहना है कि तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की उम्र बढ़ती है।
-फ्रेच डॉक्टर विक्टर रेसीन का कहना है कि तुलसी एक अदभुत औषधि है।
-इम्पीरियल मलेरियल कॉन्फ्रेंस के अनुसार तुलसी मलेरिया की विश्वसनीय और प्रामाणिक दवा है।
-डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट होता है। जो शरीर की मृत कोशिकाओं को ठीक करने में मददगार होता है।
-तुलसी का प्रभाव शरीर में पहुंचने वाले केमिकल या अन्य नशीले पदार्थों से होने वाले नुकसान को कम करता है।
-टी.बी-मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों से निपटने के लिए तुलसी कारगर है।
-तिरुपति के एस.वी. विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार तुलसी का पौधा उच्छवास में ओजोन वायु छोड़ता है।
-आभामंडल नापने के यंत्र यूनिवर्सल स्केनर के माध्यम से तकनीकी विशेषज्ञ श्री के.एम. जैन द्वारा किए परीक्षण में पता चला कि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे की 9 परिक्रमा करे तो उसका आभामंडल का प्रभाव क्षेत्र 3 मीटर तक बढ़ सकता है।
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments