हिंदू धर्म में कई ऐसे ग्रंथ और पुराण हैं जो हमें लाइफ मैनेजमेंट का महत्व और इसका तरीका बताते हैं। महाभारत भी ऐसा ही एक ग्रंथ है जिसमें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के सूत्र छुपे हुए हैं। महाभारत के अनुसार अगर आप भी सफलता चाहते हैं तो पहले आपको अपने भीतर झांकना होगा। क्योंकि मनुष्य के अंदर की 6 बुराइयां उसे कभी आगे नहीं बढ़ने देती। अगर आपके अंदर भी ये 6 बुराइयां हैं तो इन्हें दूर करके आप भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
महाभारत के उद्योग पर्व में लिखा है
षड्दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्री भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता ।
1.नींद
हमें समय को सोकर बर्बाद नहीं करना चाहिए। जितनी आवश्यक हो उतना ही सोना चाहिए। जब अधिक सोने को मिले तो सो लें और जब किसी कार्य को समयपूर्व निपटाना हो तो थोड़ा जाग लें।
इसका अर्थ है सोने के बाद भी ऊंघते रहना या कार्य के दौरान निष्क्रिय रहना। कार्य में सक्रियता और निरंतरता होना जरूरी है। कुछ लोग कार्य स्थल पर उबासी लेते रहते हैं जो कि इस बात का संकेत है कि
आपके शरीर में आलस्य भरा हुआ है। एवं काम में मन नहीं लग रहा है।
3. भय
भयभीत व्यक्ति में आत्मविश्वा स नहीं होता है। वह हर कार्य करने में डरता है। ऐसे व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता नहीं होती है। सफल होने के लिए व्यक्ति को साहसी होना जरूरी है।
क्रोध से व्यक्ति की बुद्धि बंद हो जाती है। सोचने समझने की क्षमता नष्ट हो जाती है। इससे जहां स्वभाव, गुण और चरित्र पर बुरा असर पड़ता है, वहीं लोगों के बीच एक बुरे व्यक्ति की छवि भी बनती है।
5. आलस्य
किसी कार्य को टालते रहना भी आलस्य का ही कारण है। यदि आप आलसी हैं तो लक्ष्य आपसे दूर होता जाएगा। आलसी व्यक्ति के संकल्प कमजोर होते हैं। अत: आलस्य को दूर रखने के लिए रोज कसरत करें।
6. दीर्घसूत्रता
इसका अर्थ यह है कि जो कार्य आप जल्दी कर सकते हैं उन्हें करने में भी आप बहुत देर लगा रहे हैं तो इससे आपका नुकसान है। ऐसा करके आप अपने जीवन को व्यर्थ कर रहे हैं। अत: कि सी भी कार्य को समयपूर्व ही नि पटा लें तो अच्छा है।
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