श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण पर्व शुरू

बेंगलुरु-रामनवमी पर हिंसा की घटना सामने आई सलमान खान फायरिंग मामले-मुंबई क्राइम ब्रांच ने आरोपियों से पूछताछ शुरू की कलरएसेंस वाले नंदा का गोरखधंधा चोर ठग या व्यवसायी गर्मियों में पेट को ठंडा रखने के लिए बेस्ट हैं ये 3 ड्रिंक्स आज का राशिफल भारत में वर्कप्लेस की बढ़ रही डिमांड 46 साल की तनीषा मुखर्जी मां बनने को तरस रहीं PAK और 4 खाड़ी देशों में भारी बारिश सिंघम अगेन के सेट से सामने आईं दीपिका पादुकोण की तस्वीरें प्रेग्नेंसी में भी काम कर रही हैं दुबई की बारिश में बुरे फंसे राहुल वैद्य PM मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना ड्रेसिंग गेम ऑफ थ्रोन्स: फैशन बन गया था इस शो के बारे में बात करना गर्मियों में अपनी डाइट में शामिल करें दही Jio Postpaid Plans-399 का रिचार्ज करने पर मिलेगी 3 सिम फ्री Vivo T3x 5G हुआ लॉन्च जानिए सब डिटेल्स Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस को लगा एक और झटका बेटे की वर्जिनिटी पर मलाइका अरोड़ा ने किया सवाल प्रभु श्रीराम का हुआ सूर्यतिलक,सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ीं जाह्नवी कपूर की नई फिल्म 'उलझ' का टीजर आउट,5 जुलाई 2024 को सिनेमाघरों में आएगी फिल्म Good news-तमिलनाडु में 5.9 मिलियन 5G कस्टमर्स का आंकड़ा हुआ पार

श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण पर्व शुरू

Khushboo Diwakar 27-08-2019 13:13:54

रायपुर. जैन धर्म के श्वेतांबर और दिगंबर समाज भाद्रपद मास में पर्युषण पर्व मनाता है. पर्युषण को जैन धर्म के लोग काफी महत्वपूर्ण त्योहार मानते हैं. यह त्योहार लगातार दस दिन तक चलता है. जैन धर्म के अनुयायी उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन्य, उत्तम ब्रह्मचर्य के जरिए आत्मसाधना करते हैं. यह पर्व 27 अगस्त से शुरू होगा और 3 सितंबर तक चलेगा. 

इस त्योहार को मनाने के दौरान लोग अगले 8 से 10 दिन तक ईश्वर के नाम पर उपवास करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. श्वेतांबर समाज 8 दिन तक इस त्योहार को मनाते हैं, जिसे अष्टान्हिका कहा जाता है. जबकि दिगंबर समाज के अनुयायी दस दिन तक पर्युषण पर्व को मनाते हैं, जिसे दसलक्षण कहते हैं.

इस त्योहार की मुख्य बातें जैन धर्म के पांच सिद्धांतों पर आधारित हैं. जैसे कि अहिंसा यानी कि किसी को कष्ट ना पहुंचाना, सत्य, अस्तेय यानी कि चोरी ना करना,
ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह यानी कि जरूरत से ज्यादा धन एकत्रित ना करना. 

पर्युषण का आमतौर पर यह मतलब है कि मन के सभी विकारों का खात्मा करना. यानी कि मन में उठने वाले सभी प्रकार के बुरे विचार को इस त्योहार के दौरान खत्म करने का व्रत ही पर्युषण महापर्व है. इन विकारों पर जीत हासिल कर शांति और पवित्रता की तरफ खुद को ले जाने का उपाय ढूंढते हैं. भाद्रपद मास की पंचम तिथि से शुरू होकर यह पर्व अनंत चतुर्दशी की तिथि तक मनाया जाता है.

हिंदू धर्म के नवरात्रि के समान यह त्योहार माना जाता है. यह पर्व जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत अहिंसा के व्रत पर चलने की राह दिखाता है. इस पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग पूरे संसार के लिए मंगलकामना करते हैं और अनजाने में की गई गलतियों के लिए माफी मांगते हैं. मॉनसून के दौरान मनाया जाने वाला यह त्योहार पूरे समाज को प्रकृति से जुड़ने का सीख भी देता है. 







  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :