जीवन मंत्र डेस्क. हॉन्गकॉन्ग में नांगोंग पिंग, लान्ताऊ द्वीप में भगवान बुद्ध की विशाल कांस्य की प्रतिमा स्थापित है। इसे प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध का प्रतीक माना जाता है। पोलिन मठ के पास स्थित यह मूर्ति हांगकांग में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र है। यह मूर्ति इसलिए भी खास मानी जाती है, क्योंकि यहां पर भगवान उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे हैं वहीं ज्यादातर अन्य बड़ी मूर्तियों में बुद्ध का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है।
इस विशालकाय मूर्ति को टियां टैन बुद्ध के नाम से जाना जाता है। यह मूर्ति बीजिंग में टेम्पल ऑफ हेवन में बनी बुद्ध की प्रतिमा से प्रेरित है। प्रतिमा का निर्माण 1990 में शुरू हुआ था और 29 दिसंबर 1993 को समाप्त हुआ था, जिसे चीनी में बुद्ध के
ज्ञान प्राप्ति का दिन माना जाता है। इस मूर्ति में भगवान बुद्ध कमल के सिंहासन पर विराजमान हैं। इस मूर्ति की उंचाई 112 फीट है और वजन लगभग 250 मेट्रिक टन है। इसे 202 कांस्य टुकड़ों से बनाया गया था।
ऊंचाई पर बनी इस बुद्ध प्रतिमा तक पहुंचने के लिए आगंतुकों को 268 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। इस मूर्ति में बुद्ध का दाहिना हाथ उठा हुआ है जो कि दुख को दूर करने का प्रतिनिधित्व करता है। इसके चारों ओर छह छोटी कांसे की मूर्तियां हैं जिन्हें छह देवों के रूप में माना जाता है। ये देव भगवान बुद्ध को फूल, धूप, दीपक, पल, संगीत और औषधि अर्पित कर रहे हैं। ये उदारता, नैतिकता, धैर्य, उत्साह, ध्यान और ज्ञान के प्रतीक हैं, जो कि ज्ञान प्राप्ति के लिए जरूरी माने जाते हैं।
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments