आम बजट से पहले सरकार को मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ के र्मोचे पर जोरदार झटका भी लगा है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार बजट में इस सेक्टर के लिए खास रोडमैप पेश कर सकती है.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को इस बार बजट से राहत की खासी उम्मीदें हैं. क्योंकि पिछले कुछ महीनों से इस सेक्टर दबाव में है और उबरने के लिए सरकारी मदद की सख्त जरूरत है. ऐसे में इस सेक्टर की सारी उम्मीदें बजट पर टिकी हैं.
दरअसल आम बजट से पहले सरकार को मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ के र्मोचे पर जोरदार झटका भी लगा है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार बजट में इस सेक्टर के लिए खास रोडमैप पेश कर सकती है.बता दें, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के ग्रोथ की रफ्तार जून में थोड़ी सुस्त रही. देश के ग्रोथ की रफ्तार में आई यह कमी नए ऑर्डर की संख्या
में वृद्धि में गिरावट, प्रोडक्शन और रोजगार के सृजन में कमी से हुई है. मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जहां जून महीने में 52.1 रहा, जो कि मई में तीन महीने के उच्च स्तर 52.7 के मुकाबले कम है.
गौरतलब है कि यह लगातार 23वां महीना है, जब मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50 के आंकड़े से ऊपर रहा. पीएमआई का आंकड़ा 50 से ऊपर रहने पर सेक्टर में विस्तार का संकेत होता है, जबकि ये नीचे रहने पर संकुचन को दर्शाता है.
आईएचएस मार्केट इंडिया के सर्वे के मुताबिक उपभोक्ता वस्तुएं ग्रोथ का अहम स्रोत रही हैं. जिससे बिक्री, उत्पादन और रोजगारों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. वहीं इंटरमीडिएट गुड्स कैटेगरी में उत्पादन और नए ऑर्डर्स में मामूली वृद्धि दर्ज की गई लेकिन रोजगारों में स्थिरता रही है.
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