मोदी ने देश की जनता का दिल तोड़ा है

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मोदी ने देश की जनता का दिल तोड़ा है

Administrator 19-04-2019 17:13:27

 नीरज मनजीत

सच कहा जाए तो मोदीजी देश की 125 करोड़ जनता का दिल तोड़ चुके हैं और अब वे फिर एक बार इस चुनाव में छल, फरेब और झूठ का सहारा लेकर सत्ता बचाने के प्रयत्न में लगे हुए हैं. 2014 के चुनावों में वे एक उद्धारक और मसीहा के रूप में देश की जनता के सामने आए थे. उनके भाषणों में जान थी. लगता था कि देश और जनता के सारे मसलों का हल उनके पास है. उन्होंने हमारे सामने कुछ सपने रखे और साथ ही भरोसेमंद तर्क देते हुए यह भी बताया ये सपने कैसे सच होंगे. उन्होंने देश की जनता के सामने अच्छे दिन लाने का वायदा किया. अच्छे दिनों का मतलब था भूख गरीबी बेरोजगारी जिल्लत से छुटकारा और हर व्यक्ति के लिए स्वाभिमान तथा खुशहाली से भरी ज़िंदगी. उन्होंने ठोस आंकड़े पेश करते हुए देश के युवाओं को बताया कि वे हर वर्ष दो करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे. यानी 2019 तक दस करोड़ बेरोजगार कमाने लगेंगे. यह एक बड़ा वादा था. देश के युवाओं की आँखों में अच्छे दिनों के सपने तैरने लगे. उन्होंने एक और बड़ा वादा किया वे देश से बाहर जमा लाखों-लाख करोड़ का काला धन वापस लाएंगे. एक हिसाब से यह धन वापस आने के बाद हर व्यक्ति को 15 लाख रुपये मिलने थे. इस वादे को चमकाने में बाबा रामदेव ने उनकी भरपूर मदद की. उन्होंने शहर शहर, गाँव गाँव घूमकर ऐसा माहौल बना दिया कि मोदीजी की 15 लाख वाली बात बिल्कुल सच लगने लगी. लोगों ने मोदीजी पर भरोसा किया और उन्हें वोट देकर दिल्ली भेज दिया.


लेकिन, आज जब हम फिर से सरकार चुनने की दहलीज पर खड़े हैं, हमारा दिल टूटा हुआ है. मोदीजी तो सारे वादों से पल्ला झाड़कर इन मूल मुद्दों की बात ही नहीं कर रहे हैं और देश की जनता एक-दूसरे से पूछ रही है कि अच्छे दिन, रोजगार और 15 लाख के वादे का क्या हुआ? देश की जनता का दिल तोड़कर अब मोदीजी राष्ट्रवादी हिंदुस्तान, मजबूत भारत और समृद्ध इंडिया का सपना दिखा रहे हैं. वे कह रहे हैं कि पचास देशों की यात्राओं के दौरान उन्होंने भारत देश का नाम ऊंचा किया है. वे भारतीय सेना, भारतीय वैज्ञानिकों, भारतीय कामगारों, 125 करोड़ भारतीय लोगों के परिश्रम का श्रेय खुद लेने की कोशिश कर रहे हैं. एक बार फिर वे मसीहा के रूप में खुद को पेश कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि वे हैं, तभी देश सुरक्षित है. वे न होते तो विपक्षी पार्टियां देश को रसातल में भेज चुकी होतीं. विश्व समुदाय में पाकिस्तान को अलग-थलग कर देने को वे अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं. वे खुद को और अपनी पार्टी के लोगों को ' कांग्रेस मुक्त भारत'  का सपना दिखाकर भरमा रहे हैं.


सच कहा जाए तो उनके पास इस देश के लिए कोई सही विचार है ही नहीं. इसीलिए वे अपनी विचारहीनता को महात्मा गांधी की आड़ लेकर छिपाने की कोशिश करते हैं. लेकिन उनकी असली मंशा छिपाए नहीं छिपती. कुछ महीने पहले संसद में उन्होंने कहा था कि "कांग्रेस मुक्त्त भारत" महात्मा गांधी का स्वप्न था और वे गांधीजी के इस सपने को जरूर सच करेंगे. यह एक बड़ा ही अजीब तर्क है, जो यह बताता है कि इस देश के महान लोकतंत्र को लेकर उनके विचार कतई अच्छे नहीं हैं. यह सच है कि महात्मा गांधी ने आज़ादी के तत्काल बाद यह कहा था कि कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चूंकि अब कांग्रेस का मिशन पूर्ण हो चुका है, अतः इसे भंग कर दिया जाना चाहिए. इस कथन से उनका आशय यह था कि कांग्रेसजनों को एक राजनीतिक दल के रूप में कांग्रेस की जगह कोई नया नाम रख लेना चाहिए, यह नहीं कि कांग्रेसजन घर बैठ जाएं.


2014 के आम चुनावों में जीत के बाद से ही मोदीजी ने विपक्ष रहित भारत या विपक्ष रहित संसद का सपना देखना शुरू
कर दिया था. 2017 के आखिरी महीनों तक उनका मंतव्य पूरा होता नज़र आ रहा था. उन्हें लग रहा था कि कांग्रेस मुकाबले से हट चुकी है और क्षेत्रीय दलों को उन्होंने अपने  दबाव में ले लिया है. नतीजतन, विजयरथ पर सवार मोदीजी अहंकार में पूरी तरह डूब गए. वे संवैधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र से खिलवाड़ करने लगे. लेकिन, पिछले साल दिसंबर में हिंदी पट्टी के हृदयस्थल पर कांग्रेस की वापसी के बाद उनका सपना चूर-चूर हो गया. इसके बावजूद उनका अहंकार कम नहीं हुआ है. वे और उनके चहेते न्यूज़ चैनल चोरी और सीनाजोरी की कहावत चरितार्थ करते हुए कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को पाकिस्तान भेजने में जुटे हुए हैं. ताकि पूरा हिंदुस्तान उनके कब्ज़े में आ जाए. लेकिन देश के मतदाता चुपचाप उनकी इस मंशा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. यही मोदीजी की चिंता है. उनका "राष्ट्रवाद का भ्रम" कारगर नहीं हो पा रहा है, जबकि कांग्रेस के गांव गरीब किसान के हित के वादे आम जनता पर अच्छा असर डाल रहे हैं.


कांग्रेस गरीबों की बात करती है, तो मोदीजी उनके 55 वर्षों के कार्यकाल की बात छेड़ देते हैं और देश की सुरक्षा के मुद्दे पर खुद ही अपनी पीठ ठोंकने लगते हैं. गरीबों की बात करें तो आजादी के वक़्त देश में 70 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे थे. आज केवल 20 प्रतिशत लोग गरीब रह गए हैं. कांग्रेस के 55 वर्षों के कार्यकाल में गरीबी मिटाने का काम प्राथमिकता के आधार पर हुआ है, तभी गरीबी का प्रतिशत नीचे गिरा है. मोदीजी ने वादे बड़े बड़े कर दिए और अब मुँह छिपा रहे हैं. उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है. इसलिए कि ज्वलंत सवालों के जवाब उनके पास नहीं हैं. कुछ दिनों पहले बीजेपी का घोषणापत्र जारी किया गया. प्रेस को किताब थमा दी गई. कोई सवाल पूछने की इजाजत नहीं दी गई. जबकि कांग्रेस का घोषणापत्र जारी हुआ तो प्रेस को सवाल पूछने की खुली छूट थी. खुद राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला ने सभी सवालों के जवाब तफसील से दिए. चूंकि मोदीजी और अमित शाह के पास जवाब नहीं हैं, इसलिए वे और कुछ मीडिया चैनल मिलकर एक भ्रम को सच करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उसके अंदर मोदीजी के 2014 के वादों की बात और गांव गरीब किसान बेरोजगारी शिक्षा जैसे मूल मुद्दे खो जाएं.


जहाँ तक देश की सुरक्षा का सवाल है, हम सबका देश सुरक्षित था, सुरक्षित है और सुरक्षित रहेगा. मोदीजी प्रधानमंत्री नहीं थे तब भी देश सुरक्षित था, हैं तब भी सुरक्षित है और कल अगर वे प्रधानमंत्री ना भी रहें तब भी देश सुरक्षित हाथों में रहेगा. यह मोदीजी और अमित शाह का अहंकार है कि वे खुद को देश और 125 करोड़ देशवासियों से बड़ा मान रहे हैं और इस अहंकार से निकल नहीं पा रहे हैं कि वे सर्वोच्च पदों पर रहेंगे, तभी देश सुरक्षित रह सकता है.  मोदीजी, अमित शाह, अरुण जेटली और कुछ चैनलवालों ने मिलकर बड़ी सफाई से यह भ्रम खड़ा किया है कि विपक्षी दल राष्ट्रविरोधी लोगों के साथ खड़े हैं. यह बात ही अपने आप में देश की 125 करोड़ जनता का अपमान है. यह उन तमाम मतदाताओं का अपमान है, जिन्होंने विपक्षी दलों को वोट दिया है. और सच तो यह है कि यह इस देश के महान लोकतंत्र का अपमान है. कांग्रेस ने तो आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के विरुद्ध लंबी लड़ाई लड़ी है और भारत देश की अखंडता अक्षुण्ण रखने के लिए सबसे बड़ी कुर्बानियां दी हैं. 


इस देश का मतदाता बहुत जागरूक है. वह हमसे कहीं ज्यादा राजनीतिक समझ रखता है. वह खुली आँखों से सब कुछ देख रहा है और समझ रहा है कि कौन सी पार्टी उसके हित में खड़ी है और कौन सी पार्टी छल और भ्रम का सहारा लेकर सत्ता बचाने में लगी है. मुझे इस महान देश की 125 करोड़ जनता पर पूरा भरोसा है कि वे वक़्त आने पर सही फैसला करेंगे.

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