बरेली, अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में गन्ना के समर्थन मूल्य को लेकर किसानों ने आज केन्द्र और राज्य सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। किसान पंचायत में एलान किया गया कि राज्य सरकार के घोषित समर्थन मूल्य पर किसान चीनी मिलों को गन्ना नहीं देंगे। दूसरी तरफ अगर केन्द्र सरकार ने भी समर्थन मूल्य २८0 रूपए से कम किया तो उसे भी किसान नहीं मानेंगे। किसान अब सड़क पर उतर कर संघर्ष करेंगे। यह एलान बरेली में किसान पंचायत में किया गया, किसानों की अगली रणनीति मुरादाबाद के तिगड़ी मेला में एक नवंबर को तय की जएगी। किसानों के बदले तेवर के साथ ही लखनऊ में उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें ताज हालात की समीक्षा की गई।
आज बरेली में हुई किसान पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह टिकैत, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष बीएम सिंह और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर किसान नेता व गठवाला खाप के मुखिया हरकिशन सिंह मलिक इस पंचायत में शामिल थे।
गन्ना के समर्थन मूल्य को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन गरमाने लगा है। कहीं पर खेत में गन्ना जलाया ज रहा है तो कहीं पर किसान खुदकुशी की कोशिश कर रहा है। इस बीच आज बरेली में हुई किसान पंचायत के साथ ही प्रदेश में किसान आंदोलन की जमीन तैयार होने लगी है। बरेली के रेलवे जंक्शन के पास मनोरंजन सदन के मैदान में हुई किसान पंचायत में किसान आंदोलन के लिए साङा मंच बनाने का एलान किया गया। इस मौके पर बोलते हुए चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ने कहा, ‘दो दशक पहले हमने मेरठ से किसान आंदोलन का
बिगुल फूंका था। लेकिन बाद में जति और संगठनों के नाम पर किसान बंट गए और आंदोलन कमजोर हो गया। इस भूल का अब हमें एहसास हो गया है। अब हम एकजुट होकर आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।’
टिकैत ने आगे कहा कि गठबंधन के इस दौर में राजनैतिक दलों से सबक लेकर किसानों को भी मुद्दों के आधार पर साङा संघर्ष छेड़ना चाहिए। टिकैत ने राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष बीएम सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि इन्होंने किसानों के लिए सड़कों से लेकर अदालतों तक में संघर्ष किया है। इनके साथ आने से हमारा आंदोलन और मजबूत होगा। दूसरी तरफ बीएम सिंह ने कहा कि इस पंचायत में हिस्सा लेने के लिए किसान नेता हरकिशन सिंह मलिक मुजफ्फरनगर की किसान पंचायत को स्थगित कर यहां आए। इससे साफ है कि गन्ना के सवाल पर अब एक व्यापक आंदोलन खड़ा हो जएगा। इस मौके पर पंचायत ने सात सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया गया जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य सरकार के घोषित समर्थन मूल्य पर चीनी मिलों को किसान गन्ना नहीं देने वाले। इसी तरह केन्द्र ने भी अगर २८0 रूपए से कम का मूल्य तय किया तो उसे भी नहीं माना जएगा। गन्ना आयुक्त की तरफ से किए ज रहे गन्ना आरक्षण के आदेश को किसान नहीं मानेंगे। गन्ना समितियों से किसान इस्तीफे देंगे। गुड़ के कोल्हू नहीं बंद होने देंगे। चीनी बनाने के लिए विदेशों से आयातित कच्ची चीनी को कहीं भी उतरने नहीं दिया जएगा।
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