दुनिया भर में जारी जल संकट के मद्देनजर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यवासियों से जल संरक्षण के लिए जागरूक होने की अपील की है। चेन्नई इस वक्त भीषण जल संकट का सामना कर रही है। इस जल संकट को देखकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सतर्क हो गईं हैं।चेन्नई जैसा कोलकाता का हाल न हो जाए इस लिए ममता बनर्जी शुक्रवार को पानी बचाने का संदेश देने के लिए पदयात्रा कि शुरुआत की हैंं इस पदयात्रा के जरिए महानगर के लोगों को वो जल संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगी।
जानकारी हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकों को 'पानी बचाओ, जीवन बचाओ' के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कोलकाता में 'पद-यात्रा' आयोजित की है। इस 'पद-यात्रा' में टॉलीवुड निर्देशक राज चक्रवर्ती भी उपस्थित हैं। ममता ने इस पद यात्रा में समाज के हर तबके को शामिल होने का आह्वान किया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चंद रोज पहले ही राज्य में प्रत्येक वर्ष 12 जुलाई को राज्य में जल बचाओ, जीवन बचाओ दिवस पालित किए जाने की घोषणा की थी। जल संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए शुक्रवार को सीएम महानगर के जोड़ासांको से गांधी प्रतिमा तक पदयात्रा आरंभ की हैं।
जानकारी हो कि चेन्नई के जल संकट को देखकर पश्चिम बंगाल
की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सतर्क हो गईं हैं। चेन्नई जैसा कोलकाता का हाल न हो जाए इस लिए ममता बनर्जी शुक्रवार को पानी बचाने का संदेश देने के लिए पदयात्रा कर रही हैं।
ममता बनर्जी अपने पदयात्रा का आगाज रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर जोड़ासांकू से शाम दो बजे आरंभ की हैं। ममता बनर्जी कोलकाता की सड़कों से होते हुए अपनी यात्रा का समापन गांधी प्रतिमा पर करेंगी। ममता की 5 किमी की जल बचाओ पदयात्रा में स्कूली छात्र, युवा और एनजीओ से जुड़े हुए लोग शामिल होंगे।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में जल संकट से निपटने के लिए लोगों से वर्षा जल के संरक्षण को स्वच्छता की ही तरह जनआंदोलन बनाने की आपील की थी। ममता बनर्जी जल संरक्षण के लिए पदयात्रा पर निकलने वाली पहली मुख्यमंत्री हैं।
हालांकि ममता बनर्जी लंबे समय से पानी और पर्यावरण की दिशा में कई कदम उठा चुकी हैं। ममता सरकार जल संरक्षण के लिए 'जल धरो, जल भरो' योजना चला रही हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि 2011 में सरकार बनने के बाद विगत आठ सालों में तीन लाख से अधिक तालाब खोदे गए हैं। इसके कारण वर्षा जल संचयन संभव हो सका है और बाढ़ के प्रकोप को रोका जा सका है।
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