राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर ‘एक देश एक चुनाव’ की नीति का समर्थन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि जबतक इस पर चर्चा चल रही है, उससे पहले देश में एक ‘मतदाता सूची’ पर विचार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अभी तक कई जगह अलग मतदाता सूची है लेकिन इसको हमें बदलना चाहिए.
एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि 1952 से लेकर आजतक चुनाव में रिफॉर्म होते रहे हैं. लेकिन आज इसे नकार देना गलत है, कम से कम चर्चा तो होनी चाहिए. कई बड़े नेता उनसे व्यक्तिगत मुलाकात में कहते हैं कि ऐसा होना चाहिए. पीएम बोले कि समय की मांग है कि आज कम से कम मतदाता सूची तो एक हो.
उन्होंने कहा कि पहले 18 और 21 उम्र की वजह से अलग सूची होती थी. आज देश में जितने चुनाव हो रहे हैं उसके लिए अलग सूची तैयार हो रही है. विधानसभा के लिए अलग, लोकसभा के लिए अलग, पंचायत के लिए अलग. प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य-केंद्र मिलकर कानून बनाएं और
एक ही सूची पर बात करें, इसके लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ पंचायत चुनाव की सूची होती है.
पीएम ने कहा कि एक सूची के साथ ही एक ही पोलिंग स्टेशन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले भी देश में एक चुनाव होता था. पीएम ने इस दौरान कई उदाहरण भी दिए, उन्होंने कहा कि ओडिशा में लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ में हुए लेकिन लोगों ने दोनों जगह अलग-अलग पार्टियों को चुना, इसका मतलब ये है कि मतदाता को समझ है कि उन्हें क्या चुनना है.
राज्यसभा में उन्होंने कहा कि जहां पर विधानसभा चुनाव BJD जीती, वहां पर लोकसभा चुनाव BJP जीतकर आई है. लोग कहते हैं कि इससे क्षत्रपों को घाटा होगा लेकिन ओडिशा-आंध्र प्रदेश के चुनाव बता रहे हैं ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. एक बार हर किसी को चर्चा तो जरूर शुरू करनी चाहिए.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई थी. लेकिन उस बैठक में कांग्रेस समेत कई बड़ी पार्टियों ने जाने से इनकार कर दिया था, हालांकि एनसीपी और लेफ्ट जैसी पार्टियां बैठक में हिस्सा लेने पहुंची थीं.
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