अपने अपने जीवन में आशिक मिजाज लोंगो के किस्से तो बहुत सुने होंगे। यहाँ तक की दुनिया में तो कई ऐसे बहुत मशहूर भी हैं जिनके को उदारण भी दिए जाते है। लेकिन क्या अपने कभी गौर किया है ये सब इंसानो में ही क्यों ? क्या सिर्फ इंसान ही इश्क मोहब्बत प्यार की बाते कर पाते है? क्या कभी जानवर भी ऐसा करते है, और अगर ऐसा है तो कैसे? जी आज हम जानेंगे जानवरो के प्यार के बारे में के जानवर आखिर कैसे प्यार वाली फीलिंग्स अपने अंदर पैदा कर पता है।
ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन स्तनधारी जीवों में होता है. ये हॉर्मोन ही हमें मोहब्बत या लगाव का एहसास कराता है। दूसरों से मेल-जोल के लिए ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन की प्रेरित करता है. दो लोगों के बीच भरोसे की बुनियाद इसी की वजह से पड़ती है। ऑक्सीटोसिन ही मां और बच्चे के बीच के मज़बूत रिश्ते को क़ायम करता है. इसीलिए ऑक्सीटोसिन को 'लव हॉर्मोन' कहा जाता है। दूसरे जीवों में भी ऑक्सीटोसिन के दिलचस्प असर देखने को मिलते हैं।
कुत्तो को अक्सर इंसान को बढ़िया दोस्त माना गया है, और कई हद तक सही भी है क्युकी जानवरों में कुत्ते ही हैं जिनके सबसे ज्यादा आक्सीटोसिन हार्मोन्स पाया जाता है। अक्सर कुत्तो के साथ ये हार्मोन्स उस स्तिथि में ज्यादा काम करते जब ये किसी इंसान के करीब होते है, मतलब कुत्तो अपने पास किसी इंसान को पाते ही उनके अंदर इन हार्मोन्स की जाती तेज हो जाती है जससे वे इंसान के साथ प्यार वाला व्यवहार करते दिखाई पड़ते है। रिसर्च से साबित हुआ है कि कुत्तों में बिल्लियों के मुक़ाबले पांच गुना ज़्यादा ऑक्सीटोसिन निकलता है।
मध्य और दक्षिणी अमेरिका पाए जाने वाले मार्मोसेट और टमारिन बंदरों का वज़न ऑक्सीटोसिन की वजह से बढ़ जाता है। जब मादाएं गर्भवती होती हैं, तो नर वानर का वज़न उसकी हमदर्दी में बढ़ता जाता है. क्योंकि नर अपनी मादा साथी से नज़दीकी महसूस करता है। ये ऑक्सीटोसिन का ही कमाल होता है. नर बंदरों के ऑक्सीटोसिन के
अलावा ओएस्ट्रोजेन और प्रोलैक्टिन हॉर्मोन भी निकलते हैं। इनका ताल्लुक़ स्तनपान से होता है. नतीजा ये होता है कि जब मादा बच्चे को जन्म देती है, तो ये नर उसको दूध पिलाते हैं।
कालाहारी रेगिस्तान में पाया जाने वाला स्तनधारी जीव मीयरकैट में आक्सीटोसिन पाया जाता है। लेकिन इस जीव का प्यार बजाये किसी के साथ रहने या मिलने के उसके भलाई के बारे में होता है, मतलब ये बात कहना सही होगा की इस हार्मोन्स के असर से ये जीव दूसरी की भलाई ही चाहने वाली फीलिंग्स अपने अंदर महसूस करता है। एक शोध के दौरान जब अफ्रीका में कुछ वैज्ञानिकों ने जब ऑक्सीटोसिन की ख़ुराक इन्हें ऊपर से दी, तो मीयरकैट दूसरों के बारे में ज़्यादा फ़िक्रमंद होते देखे गए। साथ ही वो बिलों की रखवाली पर ध्यान देने लगे. उनका ग़ुस्सा कम हो गया. बच्चों के साथ वो ज़्यादा वक़्त बिताने लगे।
अभी तक तो बात जानवरो की थी लेकिन वैज्ञानिको ने पता लगाया की आक्सीटोसिन का असर कीड़ो पर भी होता है। ब्रिटेन में पाए जाने वाले एक बीटल पर जब ऑक्सीटोसिन के असर का प्रयोग किया गया, तो चौंकाने वाले नतीजे दिखे. वो अपने बच्चों का ज़्यादा ख़याल रखते देखे गए। जहां वो खाना छुपाते थे, वहां ये कीड़े अपनी गर्भवती मादा साथी को ले गए. ताकि जब बच्चे का जन्म हो तो उसे तुरंत खाना मिल जाए। कीड़े के लार्वा भूखे होने पर अपने मां-बाप को पैरों से खुजलाते हैं. फिर मां-बाप उन्हें खाने को देते हैं।
अमरीका के मशहूर मैदानी इलाक़े प्रेयरी में पाए जाने वाले चूहे एकनिष्ठ होते हैं। वो हमेशा एक ही साथी के साथ अपना पूरा जीवन निर्वाह करते है। साथ ही अपने बच्चो को खुद प्यार करते हुए उनका ध्यान और पालन पोषण करते हैं। वहीं, चरागाह में पाये जाने वाले चूहे आशिक़मिज़ाज होते हैं। वो कई मादाओं से समभंद बनाते हैं. बच्चों का ज़रा भी ख़याल नहीं रखते। उन्हें अपने साथी की भी परवाह नहीं होती. वैज्ञानिक इसे ऑक्सीटोसिन का असर बताते हैं।
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