छोटे से हौसले ने किया हिमालय का 10 लाख किलो कूड़ा साफ़

बरतें सावधानी-कुत्तों के साथ साथ,दूसरे जानवरों के काटने से भी होता है रेबीज का खतरा चिराग पासवान के समर्थन में RJD की शिकायत लेकर आयोग पहुंची BJP क्रू ने बॉक्स ऑफिस पर अब तक कितने करोड़ कमाए शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा पर ED का एक्शन,98 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त आइये जानते है किस कारण से बढ़ सकता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रामनवमी जुलूस पर हुई हिंसा को लेकर राज्यपाल को लिखा पत्र गॉर्लिक-बींस से बनने वाला टेस्टी सलाद प्रदोष व्रत 2024:आइये जानते है प्रदोष व्रत और शुभ मुहूर्त इन ड्रिंक्स की मदद से Vitamin D की कमी को दूर करे बेंगलुरु-रामनवमी पर हिंसा की घटना सामने आई सलमान खान फायरिंग मामले-मुंबई क्राइम ब्रांच ने आरोपियों से पूछताछ शुरू की कलरएसेंस वाले नंदा का गोरखधंधा चोर ठग या व्यवसायी गर्मियों में पेट को ठंडा रखने के लिए बेस्ट हैं ये 3 ड्रिंक्स आज का राशिफल भारत में वर्कप्लेस की बढ़ रही डिमांड 46 साल की तनीषा मुखर्जी मां बनने को तरस रहीं PAK और 4 खाड़ी देशों में भारी बारिश सिंघम अगेन के सेट से सामने आईं दीपिका पादुकोण की तस्वीरें प्रेग्नेंसी में भी काम कर रही हैं दुबई की बारिश में बुरे फंसे राहुल वैद्य PM मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना

छोटे से हौसले ने किया हिमालय का 10 लाख किलो कूड़ा साफ़

Deepak Chauhan 08-05-2019 15:27:57

हिमालय न होता तो भारत में मौसम का बुरा हाल रहता', 'हिमालय पर्वत भारत की शान है', 'कहीं घूमने का प्लान बना रहे हो तो हिमालय की ओर रुख क्यों नहीं करते?', 'सोचता हूँ सब कुछ छोड़कर हिमालय पर जाकर बस जाऊं।' ये बातें आपको हर चौक-चौराहे पर सुनने को मिल जाती होंगी। वो गाना तो आपने सुना ही होगा, 'जब घायल हुआ हिमालय... खतरे में पड़ी आजादी।' 

हिमालय की विशेषता और सुन्दरता क्या है, यह अंदाजा तो आपको इन सब बातों से हो ही गया होगा। आपके कई दोस्त भी पहाड़ों पर घूमने का शौक रखते होंगे। जो अपने बड़े से पिठ्ठू बैग को टाँगे, हाथ में एक छड़ी संभाले पहाड़ों पर चढ़ते हुए फोटो खिंचवाते हैं और उसे लोगों को दिखाकर ललचाते हैं। वहीं कितनी ही फ़िल्में पहाड़ों और उनकी यात्राओं का असल मायना समझाती हैं। आज कल बाइक लेकर लेह, लद्दाख और स्पीती की घाटियों में पहुँच जाना जैसे फैशन बन गया है। छुट्टियाँ निकालकर जीवन की दौड़-भाग से बचते हुए, कुछ पल सुकून की गोद में जीने की चाहत हो तो वाकई भारत के उत्तरी पोर की ओर रुख करना चाहिए। लोग भारी संख्या में हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जा रहे हैं और पर्यटन को बढ़ावा भी मिल रहा है। 

इन सब के बीच, हमारी गंदगी फैलाने की फितरत यहाँ का सारा खेल बिगाड़ने पर लगी है। दरअसल ट्रेकिंग के बढ़ते चलन के चलते लोग पहाड़ी शहरों से निकल दूर-दराज गाँवों तक घूमते हैं और कैंप लगाकर मौज-मस्ती की हदें पार कर देते हैं। नशे में डूबकर तेज आवाज में बजते गानों के सामने मदहोश पड़े रहते हैं और चारो ओर गंदगी फैलाते हैं। यह गंदगी देश में शुरू हुए स्वच्छ भारत अभियान के दायरे से भी दूर है और हिमालय को घायल कर रही है। देश में बढ़ रहे प्रदूषण के चलते पहले ही हिमालय के ग्लेशियर पिघलना शुरू हो गए हैं। ऐसे में अगर वह खुद प्रदूषित हो जाए तो मंजर का अंदाजा आप लगा सकते हैं। आइए हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी सुनाते हैं जिसने भविष्य की भयावहता का अंदाजा समय से पहले लगा लिया और गिरिराज हिमालय की मरहम पट्टी करने में लगा हुआ है।


कौन हैं प्रदीप सांगवान?

ये कहानी है प्रदीप सांगवान की। आर्मी फैमिली में पैदा हुए इस युवक की दास्तां किसी प्रेरणा से कम नहीं। शुरुआती पढ़ाई अजमेर के राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल में करने की वजह से प्रदीप का बचपन कायदे और कानून में बीता, जो उनके लिए हमेशा फायदेमंद साबित हुआ। 2004 में स्कूल से निकल कर जब वो चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज आए तो आजाद पक्षी की तरह आसमान में उड़ने लगे।
हॉस्टल के 12x12 के कमरे से निकल कर दुनिया देखने लगे। इन्हीं दिनों उन्हें पहाड़ों पर घूमने का चस्का लग गया। जब मौका मिलता प्रदीप पर्वतारोहण में हाथ आजमाते। आगे पढ़ाई करने के लिए 2007 में उनका मुंबई जाना हो गया लेकिन पहाड़ों से उनका रिश्ता वैसे ही कायम रहा।


हीलिंग हिमालयाज से पहले का दौर

सच तो ये है कि एक बार जिसने पहाड़ों की शांति को जी भर के जी लिया हो उसका दौड़ती-भागती जिन्दगी से मोहभंग हो जाता है। प्रदीप के साथ भी ऐसा ही हुआ। घर वालों के विरोध के बावजूद वो हिमाचल के मनाली में आकर रहने लगे। आजीविका निकालने के लिए उन्होंने दोस्तों और जानने वालों से पैसे उधार लिए और अपने पास जमा पैसों को मिलाकर एक कैफे खोल लिया। उनका कैफे धीरे-धीरे लोगों में मशहूर होने लगा और चल पड़ा। प्रदीप की जिंदगी में सुकून की रातें नसीब होने लगीं। कैफे ने उन्हें एक ठहराव दे दिया। लेकिन समय एक जैसा तो होता नहीं, यहाँ भी वक़्त ने करवट ली और प्रदीप की जिंदगी में खलल पड़ गई। जिस जमीन पर उन्होंने कैफे खोला था उसका मालिक, स्थानीय ढाबा मालिकों के बहकावे में आकर कैफे को हटाने की बात बोलने लगा। प्रदीप शांति चाहते थे उन्होंने बिना विरोध किए जगह खाली कर दी और जिंदगी के पिछले पड़ाव पर आकर खड़े हो गए।


हीलिंग हिमालयाज की शुरुआत

कैफ़े बंद होने के बाद प्रदीप ने दोबारा ट्रेकिंग चालू कर दी। हाईकिंग टूर वाली एक कंपनी के जरिए वो लोगों को पर्वतारोहण करवाने लगे। दुनिया डाइजेस्ट से बात करते हुए प्रदीप ने बताया कि 2012-13 के बाद से लोग भारी संख्या में पहाड़ों की ओर अपनी छुट्टियां बिताने आने लगे। इसी के साथ लोगों को ट्रेकिंग का चस्का भी लग गया। इसका दुसरा पहलू यह है कि बढ़ती भीड़ ने पहाड़ों को गंदा करना भी शुरू कर दिया। प्रदीप को ट्रेकिंग के दौरान ही ये एहसास हुआ कि यहां की सफाई बहुत जरूरी है। क्योंकि निगम और ग्रामीण स्वच्छता से संबंधित सरकारी संस्थाएं वहां सक्रिय नहीं हैं और ट्रेकिंग पर लोग शून्य जनसंख्या वाली जगहों पर ही जाना पसंद करते हैं। जिस वजह से वहां के रास्तों के आसपास हो रही गंदगी को साफ़ करने का कोई उपाय नहीं है। ऐसे में प्रदीप ने मन में ठान लिया कि इस मुद्दे को लेकर बदलाव लाना है। साल 2014 में उन्होंने अकेले दम पर एक पहल शुरू की, जिसमें वो ट्रेकिंग के दौरान जितना बन पड़ता कचरा उठाकर नीचे शहरों में आकर डंप करने लगे। बीते सालों में उन्होंने ट्रेकिंग और बैकपैकिंग के लिए एक गैर सरकारी संस्था शुरू की जिसका नाम रखा 'हीलिंग हिमालयाज'। 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :