शिक्षा, आर्थिक स्थिति और परिवेश, इनमें कोई ऐसी चीज नहीं जिसकी वजह से किसी मजबूत इरादों वाले इंसान के हौसले पस्त हो जाएं। मशहूर हिंदी शायर दुष्यंत कुमार का एक शेर है - 'कैसे आकाश में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।' अगर आपने भी कुछ करने की ठानी है तो जरूरत है उस रास्ते पर सही कदम बढ़ाने की जिससे आपकी मंजिल तय होगी। आपने सुना होगा 'इंसान जिस चीज के बारे में सोच सकता है, उसे हासिल भी कर सकता है।' बशर्ते आप उस चीज के लिए जरूरी कार्य करें, न कि भाग्य और किस्मत का रोना रोते रहें। इससे आपको आपकी मंजिल जरूर मिलती है।
ऐसा संभव है कि इसमें देरी हो मगर ऐसा कतई संभव नहीं कि आप अपनी मंजिल तक न पहुँचे। अगर आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच पा रहे तो इसका मतलब ये है कि आपने मेहनत करने में कोई कमी की होगी।
आपको आज हम एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहें, जो कइयों ग्रामवासियों (जो अभाव में पलते-बढ़ते हैं) के लिए प्रेरणा के श्रोत हैं, जो अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं। तो बिना किसी देर के आइये आप और हम चलते हैं, उस भारत की सैर पर जहाँ हम रूबरू होंगे राजस्थान के एक छोटे से गाँव मौजपुर के निवासी से जिन्होनें बिना किसी कंप्यूटर की डिग्री के कई मोबाइल एप्लीकेशन बना दिए हैं।
नाम राहिल मोहम्मद, वालिद का नाम बसरूद्दीन खान और अम्मी का नाम हुसैनबी। ग्राम मौजपुर, तहसील लक्ष्मणगढ़ जिला अलवर, राजस्थान। ये
परिचय है स्नातक प्रथम वर्ष के एक छात्र का जो मोबाइल ऐप्लिकेशन और वेबसाइट डिजाइनिंग का काम करते हैं। इन्होंने खुद की वेबसाइट भी बना रखी है।
राहिल ने जब दसवीं की परीक्षा पास की उसके बाद ही इन्होंने गूगल प्ले स्टोर पर अपना पहला एप्लीकेशन बना कर डाल दिया था। उसके बाद से लेकर अब तक इन्होंने 11 और ऐप्लिकेशन बनाए हैं। इन्होंने जो पहला एप्लीकेशन बनाया है उसका नाम 'हिंदी व्याकरण' है, जो गूगल प्ले स्टोर पर मुफ्त में उपलब्ध है।
इनका नाम इमरान खान है। इन्होंने कई एंड्राइड ऐप बनाए हैं। जिसकी चर्चा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। इन्हीं से प्रेरणा लेकर राहिल ने एप्लीकशन बनाने की सोची। इनकी कहानी पढ़ने के बाद से ही राहिल के मन में ऐप्स के प्रति दिलचस्पी बढ़ती गई।
राहिल ने कुल 12 ऐप्लिकेशंस बनाए हैं। जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं। सभी ऐप्स शिक्षा से जुड़े हुए हैं। इन ऐप्स के माध्यम से युवाओं को मुफ्त में शिक्षित करना इनका उद्देश्य है। दुनिया डाइजेस्ट से बात करते हुए इन्होंने बताया कि आने वाले सालों में ये और भी बेहतर ऐप्स लाएंगे जिनके माध्यम से किसी भी युवा को घर बैठे विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिल सके। आज लाखों-लाख युवा कोचिंग में करोड़ों रुपये लगाते हैं। उन सबके लिए राहिल मुफ्त में एक ऐसी व्यवस्था (ऐप्स के माध्यम से) सुनिश्चित करना चाहते हैं, जिससे अभावग्रस्त युवा भी बिना किसी कष्ट के अपनी तैयारी कर सकें।
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