उनके वैद्य (गुणी) भी शर्तिया इलाज का दावा करते हैं. एक दवा से किन-किन बीमारियों में इलाज किया जा सकता है. ट्राइबल विभाग ने राजधानी के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज को इस पर रिसर्च की जिम्मेदारी दी है. तीन साल तक चलने वाली इस रिसर्च में करीब छह करोड़ रुपए खर्च होंगे. शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी व मंडला जिले में यह रिसर्च की जाएगी . सरकार ने रिसर्च प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. वैद्यों द्वारा उपयोग की जानी वाली जड़ी-बूटियों की पहचान करने के बाद इन्हें खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद अस्पताल में आने वाले ज्यादा से ज्यादा मरीजों पर प्रयोग किया जाएगा. इन दवाओं पर अध्ययन के लिए अस्पताल में एक अलग यूनिट भी बनाई जाएगी.
xss=removed>इन बीमारियों का बूटियों से इलाज
बारिश में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में मौसमी बीमारियों का जड़ी-बूटियों से इलाज करते हैं. जड़ी बूटियों से इलाज करने वालों को वैद्य कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि पीलिया, अस्थमा, घाव भरने व हड्डियों को जोडऩे के लिए वह विशेष तरह की जड़ी-बूटी या इससे बने लेप का उपयोग करते हैं. अब रिसर्च से यह पता लगाया जाएगा कि वह कौन सी जड़ी-बूटिया हैं.
वैद्य बताएंगे जड़ी-बूटियों की खूबी
रिसर्च के दौरान इन जिलों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा. सबसे पहले इलाज करने वाले वैद्यों को बुलाया जाएगा. उनसे जड़ी-बूटी के बारे में पूछा जाएगा. इसके बाद उस जड़ी-बूटी की पहचान की जाएगी. बाद की कार्यशालाओं में वैद्य के साथ उनके मरीजों को भी बुलाया जाएगा. इस दौरान मरीज से भी वैद्य के सामने पूछा जाएगा कि कौन सी बीमारी थी और दवा से कितने दिन में ठीक हो गई.
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