पुरुषप्रधान समाज में आज ख़ुशी के समय जो लोग ढोल, बेंड आदि बजने आते है वे भी कही न कहीं अपने पुरुषवाद को प्रदर्शित करते है। उनका मनना होता है। महिलाये इस वाद्ययंत्र को नहीं बजा सकती है, या ये इनके लिए बने है। इसी बात को गलत साबित करते हुए पंजाब की एक लड़की जिसका नाम जहान गीत सिंह है। ये लड़की ढोल बजने में किसी भी पुरुष से कम नहीं है। जहान ने इस कला में खूब महारत हासिल कर अपने नाम को अलग पहचान दिलाई।
चंडीगढ़ में रहने वाली जहान, फ़िलहाल पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई कर रही हैं। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, जहान ढोल बजाने के अपने शौक और जुनून को भी आगे बढ़ा रही है।पिछले 7 सालों से ढोल बजा रही जहान ने बताया कि जब उन्होंने तय किया कि उन्हें ढोल सीखना है , तब उन्हें बिल्कुल भी नहीं लगा था कि वे कुछ बहुत अलग कर रही हैं ।जब ये बात उन्होंने अपने माता-पिता से कही, तो उन्हें बहुत हैरानी हुई। क्योंकि हमने हमेशा ढोल को सिर्फ़ पुरुषों के गले में लटका देखा है और शायद इसलिए कभी सोचा ही नहीं कि एक लड़की भी ढोल बजा सकती है।
जहान को अपने इस शौक को पूरा करने के लिए परिवार का पूरा साथ मिला। उनके पापा ने दूसरे दिन से ही उनके लिए एक उस्ताद ढूँढना शुरू किया, जो उन्हें ढोल बजाना सिखा सके। पर उन्हें सब जगह ‘ना’ ही सुनने को मिली, क्योंकि कोई भी एक लड़की को ढोल बजाना नहीं सिखाना चाहता था।
उन्होंने बताया, “सिखाने के लिए मना करना तो एक बात थी, पर जब वे सुनते थे कि लड़की को ढोल बजाना सिखाना है तो उनके चेहरे पर मेरे लिए एक हीन भावना आ जाती थी। ऐसा लगता था कि ये लोग मुझसे सवाल कर रहे हो कि एक लड़की ऐसा सोच भी कैसे सकती है। कई बार तो मुझे भी लगने लगता कि मैंने ऐसा क्या मांग लिया? मैं तो बस ढोल बजाना सीखना चाहती हूँ, जैसे बहुत से लोग गिटार या सितार जैसी चीज़े सीखते हैं।”
ज्यादातर लोगों के लिए इस बात को पचाना ही बहुत मुश्किल था कि एक अच्छे-खासे परिवार की लड़की ढोल बजाना और सीखना चाहती है। इसका नतीजा यह था कि बहुत जगह कोशिश करने के बाद भी उनको ढोल सिखाने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था। पर जहान के पापा ने हार नहीं मानी और अपनी बेटी के लिए एक अच्छे उस्ताद की उनकी तलाश जारी रही।
बहुत मुश्किलों के बाद एक ढोली, सरदार करतार सिंह उन्हें ढोल सिखाने के लिए तैयार हो गये। उस वक़्त शायद करतार सिंह को भी लगा था कि ये जहान का दो-चार दिन का शौक है और जल्दी ही, वो खुद सीखने से मना कर देगी।
उस उम्र में ढोल के वजन को संभालना भी जहान के लिए एक बड़ी चुनौती रही। क्योंकि ढोल को उठाकर उसे सिर्फ़ 5 मिनट बजाने के लिए भी बहुत ताकत और सहन-शक्ति की ज़रूरत होती है। इसके लिए उन्होंने अपने खाने-पीने पर खास ध्यान दिया। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी सहनशीलता पर काम किया। बहुत बार प्रैक्टिस करते समय उनके हाथों में छाले पड़ जाते थे और कई बार तो खून भी निकलने लगता। पर जहान को बस धुन सवार
थी कि उन्हें भी बाकी ढोलियों की तरह घंटों तक ढोल बजाना है।कुछ वक़्त तक सीखने के बाद उन्होंने अपनी पहली पब्लिक परफॉरमेंस चंडीगढ़ के कलाग्राम में नॉर्थ ज़ोन कल्चर सेंटर में दी। वहां लोगों ने जहान को सराहा और उन्हें लोगों से काफ़ी तारीफ़ भी मिली। पर जब उन्होंने इस बारे में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बताया कि उन्होंने ढोल परफॉरमेंस दी है, तो उन्हें बहुत ही अलग प्रतिक्रिया मिली। उन्हें लोगों के ताने और दकियानूसी बातें सुनने को मिली।। बहुत से लोगों ने कहा कि शर्म नहीं आती, जो ढोल बजा रही है; कुछ अच्छा कर लेती।
जहान जब भी कहीं परफॉर्म करने जाती, तो उन्हें बाकी ढोलियों से भी चुनौती मिलती कि क्या वह एक पुरुष-ढोली जितना अच्छा ढोल बजा सकती हैं। इतना ही नहीं, उनके उस्ताद को भी लोग ताने देते कि उन्होंने अपनी कला, अपना एक गुर, एक लड़की को दिया है। पर जहान की मेहनत और जुनून ने उन्हें कभी भी रुकने नहीं दिया। धीरे-धीरे उनकी एक अलग पहचान बनना शुरू हुई। उन्होंने अपनी परफॉरमेंस के बाद स्टेज पर बात करना भी शुरू किया। उन्होंने लोगों को अपने बारे में बताया कि ढोल बजाना उनकी मजबूरी नहीं बल्कि उनका शौक है और वे अपनी संस्कृति की शान के प्रतीक ‘ढोल’ को और आगे बढ़ा कर एक नया मुकाम देना चाहती हैं।
पिछले 7 सालों में जहान ने 300 से भी ज़्यादा समारोह और इवेंट में ढोल बजाया है। सबसे पहले उनके बारे में साल 2011 में ब्रिटेन की एक मैगज़ीन ‘टॉम टॉम‘ ने लिखा था। जहान भारत की सबसे युवा लड़की ढोली हैं और अब यह उनकी पहचान का एक हिस्सा है। सके बाद जहान को कई स्थानीय टीवी चैनल जैसे पीटीसी पंजाब और रेडियो स्टेशन पर बुलाया जाने लगा। उन्हें जोश टॉक, टेड टॉक जैसे इवेंट में भी अपना अनुभव साझा करने का मौका मिला। उन्होंने नेशनल टीवी के रियलिटी शो, ‘एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ और ‘इंडियाज़ गोट टैलेंट’ में भी अपने ढोल की छाप छोड़ी है। बहुत से अवॉर्ड्स, पुरस्कार और सर्टिफिकेट्स से उन्हें नवाज़ा गया है।
अगर हमारे समाज में सभी बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उनकी पसंद से कुछ करने का मौका मिले, तो शायद हमारे समाज का नज़रिया काफ़ी बदल जाये। इसलिए जहान का मानना है कि अगर उन्हें स्टेज पर ढोल बजाते हुए देख; एक भी लड़की या फिर कोई एक इंसान भी प्रेरित होता है तो काफ़ी है। इस बारे में आगे बात करते हुए जहान ने एक बहुत ही दिल छू जाने वाला वाकया द बेटर इंडिया के साथ साझा किया। लोगों की ज़िंदगी में बदलाव लाने के उद्देश्य से ही जहान अलग-अलग संगठनों और एनजीओ आदि के साथ काम कर रही हैं। वे ज्यादातर ऐसे इवेंट में परफॉर्म करती हैं, जो किसी नेक काम और किसी बदलाव के लिए रखा गया हो। यहाँ वे ढोल बजाती हैं और साथ ही, प्रेरणात्मक भाषण भी देती हैं। उनका कहना है कि उनका प्रोफेशन उनकी वकालत की पढ़ाई से बनेगा और ढोल के ज़रिये वे समाज में एक परिवर्तन लाना चाहती हैं।
जहान को पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री और अच्छे बैंड्स की तरफ से भी कई ऑफर मिले हैं कि वे उनके साथ काम करें। पर जहान का कहना है कि वे हमेशा आम लोगों से जुड़े रहना चाहती हैं, ताकि लोगों को हमेशा लगे कि वे भी उनमें से ही एक हैं। उन्हें देखकर बाकी लड़कियों को यही लगना चाहिए कि अगर ये कर सकती है तो हम भी कर सकते हैं। इसलिए जहान आम लोगों के बीच परफॉर्म कर उनके लिए एक प्रेरणा बनना चाहती हैं।
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