ऐसा माना जाता है की जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था, उस समय यहाँ पर मनुष्य प्रजाति के रूप में सिर्फ इंसान ही था, अन्य किसी प्रकार की जाती या धर्म आदि का नामो निसान नहीं था। ये बात तो आप सभी को पता है की मनुष्य का निर्माण बंदरों से हुआ है, चूँकि कई प्रकार की खोजीं ने ये साबित भी किया है की मनुष्य पहले डंडर के रूप में ही धरती पर जीवन व्यतीत करता था उसके बात जाकर के उसमे आये शारीरिक और मानसिक बदलावों ने उसे इंसान में तब्दील कर धरती को एक नयी प्रजाति दी, इंसान कहा गया। आज मनुष्य जनजाति ने अपने अंदर इतने बदलाव लाकर अपने आप को सबसे कुशल साबित कर एक नयी प्रकार की आधुनिक सुनिया कर भी निर्माण कर लिया है। परन्तु आज भी दुनियाभर में कई तरह की जनजाति के लोग रहते हैं। कुछ जनजातियां ऐसी भी हैं जो आज भी आदिवासियों की जिंदगी जी रही हैं। जो पूरी दुनिया के लिए किसी रहस्य से कम नहीं हैं।
ऐसी ही एक जनजाति है जिसका नाम है कोरोवाई। यह जनजाति इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत के घने जंगलों में रहती है। इस जनजाति को नरभक्षी भी कहा जाता है।
इस जनजाति की खोज सन् 1974 में की गई थी। उससे पहले इनके बारे में कोई भी नहीं जानता था। इसके बाद यहां पर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया, जिससे वेश्यावृत्ति बढ़ने लगी और 1999 में ये सब कुछ बंद हो गया।
इस जनजाति के लोग बाहरी दुनिया से दूर रहते हैं। ये लोग पेड़ों पर घर बना कर रहते है। क्योंकि ये लोग खुद को पेड़ो पर ज्यादा सुरक्षित महसूस करते है। यह जनजाति आजीविका के लिए शिकार करते हैं और इनका निशाना भी बेहतर होता हैं।
कोरोवाई जनजाति अराफुरा सागर से तकरीबन 150 किमी की दूरी पर रहती है। कहते हैं कि यह जनजाति पहले इंसानों को भी खा जाया करती थी। ये लोग अंधविश्वास को बहुत मानते हैं, जिसकी वजह से इंसानों को भी मारकर खा जाते हैं।
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