इंडोनेशिया में आज भी रहते है इंसानो को खाने वाले आदिवासी

बरतें सावधानी-कुत्तों के साथ साथ,दूसरे जानवरों के काटने से भी होता है रेबीज का खतरा चिराग पासवान के समर्थन में RJD की शिकायत लेकर आयोग पहुंची BJP क्रू ने बॉक्स ऑफिस पर अब तक कितने करोड़ कमाए शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा पर ED का एक्शन,98 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त आइये जानते है किस कारण से बढ़ सकता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रामनवमी जुलूस पर हुई हिंसा को लेकर राज्यपाल को लिखा पत्र गॉर्लिक-बींस से बनने वाला टेस्टी सलाद प्रदोष व्रत 2024:आइये जानते है प्रदोष व्रत और शुभ मुहूर्त इन ड्रिंक्स की मदद से Vitamin D की कमी को दूर करे बेंगलुरु-रामनवमी पर हिंसा की घटना सामने आई सलमान खान फायरिंग मामले-मुंबई क्राइम ब्रांच ने आरोपियों से पूछताछ शुरू की कलरएसेंस वाले नंदा का गोरखधंधा चोर ठग या व्यवसायी गर्मियों में पेट को ठंडा रखने के लिए बेस्ट हैं ये 3 ड्रिंक्स आज का राशिफल भारत में वर्कप्लेस की बढ़ रही डिमांड 46 साल की तनीषा मुखर्जी मां बनने को तरस रहीं PAK और 4 खाड़ी देशों में भारी बारिश सिंघम अगेन के सेट से सामने आईं दीपिका पादुकोण की तस्वीरें प्रेग्नेंसी में भी काम कर रही हैं दुबई की बारिश में बुरे फंसे राहुल वैद्य PM मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना

इंडोनेशिया में आज भी रहते है इंसानो को खाने वाले आदिवासी

Deepak Chauhan 25-05-2019 13:11:17

ऐसा माना जाता है की जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था, उस समय यहाँ पर मनुष्य प्रजाति के रूप में सिर्फ इंसान ही था, अन्य किसी प्रकार की जाती या धर्म आदि का नामो निसान नहीं था। ये बात तो आप सभी को पता है की मनुष्य का निर्माण बंदरों से हुआ है, चूँकि कई प्रकार की खोजीं ने ये साबित भी किया है की मनुष्य पहले डंडर के रूप में ही धरती पर जीवन व्यतीत करता था उसके बात जाकर के उसमे आये शारीरिक और मानसिक बदलावों ने उसे इंसान में तब्दील कर धरती को एक नयी प्रजाति दी, इंसान कहा गया। आज मनुष्य जनजाति ने अपने अंदर इतने बदलाव लाकर अपने आप को सबसे कुशल साबित कर एक नयी प्रकार की आधुनिक सुनिया कर भी निर्माण कर लिया है। परन्तु आज भी दुनियाभर में कई तरह की जनजाति के लोग रहते हैं। कुछ जनजातियां ऐसी भी हैं जो आज भी आदिवासियों की जिंदगी जी रही हैं। जो पूरी दुनिया के लिए किसी रहस्य से कम नहीं हैं।
ऐसी ही एक जनजाति है जिसका नाम है कोरोवाई। यह जनजाति इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत के घने जंगलों में रहती है। इस जनजाति को नरभक्षी भी कहा जाता है। 


कभी होती थी वेश्यावृत्ति 

इस जनजाति की खोज सन् 1974 में की गई थी। उससे पहले इनके बारे में कोई भी नहीं जानता था। इसके बाद यहां पर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया, जिससे वेश्यावृत्ति बढ़ने लगी और 1999 में ये सब कुछ बंद हो गया।


बाहरी दुनिया से अलग 

इस जनजाति के लोग बाहरी दुनिया से दूर रहते हैं। ये लोग पेड़ों पर घर बना कर रहते है। क्योंकि ये लोग खुद को पेड़ो पर ज्यादा सुरक्षित महसूस करते है। यह जनजाति आजीविका के लिए शिकार करते हैं और इनका निशाना भी बेहतर होता हैं। 


इंसानों को भी खा जाते है 

कोरोवाई जनजाति अराफुरा सागर से तकरीबन 150 किमी की दूरी पर रहती है। कहते हैं कि यह जनजाति पहले इंसानों को भी खा जाया करती थी। ये लोग अंधविश्वास को बहुत मानते हैं, जिसकी वजह से इंसानों को भी मारकर खा जाते हैं। 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :