हाल ही में हुए भारत के 17वी लोकसभा के चुनावो में भारतीय जनता पार्टी ने विशाल विजय पायी है। हालाँकि लोकतान्त्रिक चुनावो में जीत उसी की होती है जो पार्टी जनता के दिलो को छू सके। इसी बीच भतरी हिंदुत्व की परंपरा को निभाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम चरण का चुनाव प्रचार ख़त्म होने के बाद केदारनाथ पहुंचे थे. मौक़ा बुद्ध पूर्णिमा का था. वहां पहुंचते ही उन्होंने बाबा की पूजा अर्चना की साथ ही एक गुफा में जाकर ध्यान केंद्रित किया। जिसके बाद उनकी कई तस्वीरें वायरल हो गईं.
तस्वीर के वायरल होने की कई वजहें रहीं. एक ओर जहां विपक्ष ने कहा कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है वहीं प्रधानमंत्री ने 17 घंटे बाद गुफ़ा से बाहर निकलते ही चुनाव आयोग को धन्यवाद कहा कि आयोग ने उन्हें एकांत में ध्यान लगाने का वक़्त दिया। नरेंद्र मोदी भले ही उस गुफा से बाहर आ गए हों लेकिन गुफा अभी भी चर्चा में बनी हुई है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक बीएल राणा का कहना है कि इस बात में कोई शक़ ही नहीं है कि प्रधानमंत्री के यहां आने से यह जगह चर्चा में आ गई है और लोग इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानना चाह रहे हैं।
गुफा की बढ़ी लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि गढ़वाल मण्डल विकास निगम ने इस गुफा की बुकिंग को फिलहाल के लिए रोक दिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि जून के पहले महीने से एक बार फिर बुकिंग शुरू हो जाएगी.
गढ़वाल मण्डल विकास निगम की वेबसाइट पर इस गुफ़ा से जुड़ी जानकारियां मौजूद है. गुफा में रुकने के नियम और शर्तें पढ़कर लगता है कि हम किसी होटल के नियम-शर्त पढ़ रहे हैं। यहां तक की वेबसाइट पर ख़ुद भी इसके लिए कई जगह होटल शब्द का इस्तेमाल किया है.
गढ़वाल मण्डल विकास निगम के अंतर्गत आने वाली यह गुफा केदारनाथ धाम पहाड़ियों से क़रीब एक किलोमीटर ऊपर है. (केदारनाथ मंदिर समुद्रतल से क़रीब 11,500 फ़ीट की ऊंचाई पर है). इस गुफा का मुंह केदारनाथ मंदिर की ओर खुलता है. इस प्राकृतिक गुफा के बाहरी हिस्से को स्थानीय पत्थरों
से तैयार किया गया है और गुफा के मुख्य द्वार पर सुरक्षा के लिए लकड़ी का दरवाज़ा लगा हुआ है।
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