गर्मी में लू कैसे, कब और किन लोगो को लगती है

सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना का विषेश शिविर होने जा रहा शुरु अपनों को निहारते गाँव प्रधानमंत्री आवास के नाम पर ग्रामीणों से लाखों की धन उगाही,मामला पहुंचा सांसद कार्यालय आदि शक्ति...शिव-पार्वती की भक्ति में डूबे नजर आए पीएम मोदी, जागेश्वर धाम में कही बड़ी बात वार्षिक संत निरंकारी समागम का आयोजन 28 से 30 को आध्यात्मिक स्थल समाखला में टेबल टेनिस में मनिका बत्रा ने रचा इतिहास, सिंगल्स क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली बनी पहली भारतीय डिलीवरी के बाद प्रसूता की मौत, परिजनों ने किया अस्पताल में हंगामा । उत्तराखंड स्टेट T20 क्रिकेट चैंपियनशिप के लिए जिले की टीम का हुआ चयन कोटद्वार: जंगल में चारा पत्ती लेने गए बुजुर्ग को हाथी ने कुचलकर मार डाला, तीन दिन बाद मिला शव लोकसभा में PM मोदी: ‘संसद के कर्मचारियों-पत्रकारों का योगदान अहम, आतंकी हमले से सांसदों को बचाने वालों का नमन’ 22 सितंबर को विधानसभा के बाहर गरजेंगे मिड-डे मील वर्कर्स अयोध्या में खतरे के निशान के पास पहुंचा सरयू नदी का जलस्तर, बाढ़ का खतरा राहुल गांधी को वापस मिला बंगला तो बोले रवि किशन PM का बड़प्पन है...' 'बेटी बचाओ... की ब्रांड एंबेसडर रेसलर के साथ दहेज के लिए ज्यादती, FIR दर्ज सारस के बाद अब बाज बना आरिफ का नया दोस्त' राहुल की फ्लाइंग किस पर प्रियंका चतुर्वेदी 'नफरत की आदत में मोहब्बत रास नहीं आई राजस्थान में भ्रष्टाचार का अनोखा विरोध गधों को खिलाए गए गुलाब जामुन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में बढ़े हार्ट अटैक के मामले- स्टडी राहुल ने संसद में फ्लाइंग किस दिया? हेमा मालिनी बोलीं- 'मैंने नहीं देखा' महाराष्ट्र में मिला COVID वेरिएंट 'एरिस' का पहला केस

गर्मी में लू कैसे, कब और किन लोगो को लगती है

Deepak Chauhan 08-06-2019 13:29:35

इस स्तंभ के पिछले आलेख में हमने बुखार के बुनियादी मैकेनिज्म को समझ लिया है. इस सिलसिले में हमने यह भी जाना कि संक्रमण से होने वाले आम बुखार हमारे हाइपोथैलेमस का थर्मोस्टेट ऊपर की रेंज में सेट हो जाने के कारण होते हैं.


अब एक और ही स्थिति की कल्पना करें.

मान लें कि हमें कोई संक्रमण नहीं हुआ, बस हुआ ये है कि मौसम बहुत खराब है. बेहद तेज गर्मी पड़ रही है. दिन-रात लू चल रही है. ऐसे मौसम में हमारा शरीर भी गर्म बना हुआ है. ऐसे में हमारा शरीर बाहर के तापमान के साथ और गर्म ही न होता चला जाये, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए परम आवश्यक है. शरीर ऐसा करता भी है. हमारे शरीर का तापमान नियंत्रण सिस्टम शरीर में प्रवेश कर रही इस गर्मी को कम करने की कोशिशों में लगातार लगा रहता है.


हमारे शरीर की यह तासीर है कि आसपास का वातावरण यदि गर्म हो तो वह पसीने की मात्रा बढ़ाकर और त्वचा द्वारा वातावरण की हवा में ताप के निरंतर उत्सर्जन से यह अतिरिक्त गर्मी शरीर से बाहर निकालता रहता है और हमें बाहर तेज गर्मी होने के बावजूद बुखार नहीं हो पाता.

लेकिन शरीर यह काम एक निश्चित सीमा तक ही कर सकता है. हमें एक घंटे में अधिकतम ढाई लीटर तक पसीना आ सकता है. फिर? यदि हम उसी भयंकर गर्मी में ही किसी कार्यवश खड़े रहें और उसी गर्म वातावरण में शारीरिक मेहनत का काम भी करते रह जाएं तो हमारे शरीर का यह सिस्टम, एक सीमा के बाद असफल होने लगता है. पसीना कम होने लगता है और त्वचा से हवा में ताप के उत्सर्जन की दिशा उल्टी हो जाती है. तब हमारे शरीर का तापमान पूरी तरह बाहर की तेज गर्मी के हवाले हो जाता है. ऐसे में हमें बुखार होने लगता है. शुरू में कम बुखार. फिर भी यदि आसपास की गर्मी में कोई बदलाव नहीं आए तो इस तेज गर्मी में शरीर के थर्मोस्टेट का पूरा सिस्टम फेल हो जाएगा और हमें इतना तेज बुखार हो जाएगा कि उसके असर में शरीर का हर सिस्टम फेल होने लगेगा. यही स्थिति तेज़ लू लगना या हीट स्ट्रोक कहलाती है. यहां आपको यह भी बताना जरूरी है कि हीट स्ट्रोक इतनी खतरनाक बीमारी है जिसके पूरे इलाज के बाद भी करीब 63 प्रतिशत लोग इससे मर जाते हैं.


अब इसी लू या हीट स्ट्रोक के बारे में कुछ बुनियादी बातें समझते हैं.


लू लगने का खतरा किन लोगों को ज्यादा रहता है?


यूं तो बेहद गर्म वातावरण में लगातार मेहनत का काम करते हुए किसी को भी लू लग सकती है, परंतु तेज गर्मी में लू लगने का सबसे ज्यादा खतरा इन लोगों को रहता है :


उपरोक्त छह तरह के लोगों को लू तुरंत पकड़ती है.

(1) बहुत छोटी उम्र वाले बच्चों को और बूढ़ों को - इनमें तापमान नियंत्रण का शारीरिक सिस्टम कमजोर होता है. बुढ़ापे में सारे अंग ही उस क्षमता के साथ काम नहीं कर पाते सो लू को बर्दाश्त करने की इनकी क्षमता भी बहुत कम होती है इसीलिए लू लगने पर ये लोग बड़ी जल्दी गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं.

(3) जिनको मोटापा हो.

(4) दिल के मरीज, खासकर जिनके हार्ट का पम्प कमजोर हो (हार्ट फेल्योर के केस)

(5) जो लोग किसी भी कारण से शारीरिक रूप से कमजोर हों.

(6) वे लोग जो ऐसी दवाएं ले रहे हों जो पसीने के सिस्टम, दिमाग के रसायनों, दिल तथा रक्त नलिकाओं आदि पर असर डालती हैं (एंटी हिस्टामिनिक, एंटी कोलिनर्जिक, मानसिक रोगों में इस्तेमाल होने वाली कुछ महत्वपूर्ण दवाइयां, बीटा ब्लॉकर्स, डाइयूरेटिक्स, एलएसडी-कोकीन आदि नशे की दवाइयां. और हां इनके साथ दारू भी.)

इनके अलावा एकदम स्वस्थ युवा भी यदि तेज गर्मी में, देर तक, बिना ठीक से पानी और नमक लिए व्यायाम अथवा मेहनत करते चले जाए तो उन्हें ‘हीट एक्जॉशन’ से लेकर पूरा हीट स्ट्रोक तक कुछ भी हो सकता है. गर्म मौसम में दिनभर घूमना-फिरना, तेज धूप में दिनभर क्रिकेट खेलना, गर्मी में फिजिकल फिटनेस टेस्ट के लिये (पुलिस या फौज इत्यादि की नौकरी में) लंबी दौड़, मैराथन या हाफ मैराथन आदि में हम जब-तब यह होते देखते ही रहते हैं.


इस तरह से देखें तो फिर बेहद गर्म मौसम में लू किसी को
भी लग सकती है.


लू लगने के लक्षणों को कैसे पहचाना जाए?

तेज गर्मी में देर तक रहने वाले को, खासकर वो जो इस गर्मी में मेहनत का कोई काम करता रहा हो, उसको हल्की से लेकर तेज लू तक लग सकती है. स्वयं को अलग न समझें. इसीलिये कई बार डॉक्टर यह बात न पूछे तो भी उसे यह जरूर बता दें कि तकलीफ से पहले के वक्फे में आप देर तक धूप में या गर्मी में काम करते रहे हैं.


हल्की लू (हीट सिन्कोप या हीट एक्जॉशन या हीट क्रैम्प्स या हीट पायरेक्सिया) के लक्षण :


यहां हम जिन लक्षणों की चर्चा कर रहे हैं, अगर उनमें से कुछ भी हो रहा हो तो जानिए कि आपको लू लगी है. इस स्थिति में ठीक से इलाज न किया गया और अभी-भी अगर हम उसी गर्मी में उसी तरह काम करते रहे तो हमें खतरनाक हीट स्ट्रोक तक हो सकता है. हल्की लू को इन लक्षणों से पहचानें -


(1) गर्मी में मेहनत करते हुए अचानक आंखों के सामने अंधेरा छाना और चक्कर खाकर गिर जाना

(2) मांसपेशियों में तेज ऐंठन (स्पाज्म)

(3) मांसपेशियों में बेइंतहा दर्द

(4) बड़ी बेचैनी, घबराहट और उत्तेजित होना या पागलों जैसा व्यवहार

(5) हल्का या तेज बुखार

(6) जी मितलाना, भयंकर प्यास, तेज सिरदर्द होना या बेहद कमजोरी लगना


यह आवश्यक नहीं है कि ये सारे लक्षण एक साथ मिलें. हां, हल्की लू के बारे में एक बात याद रहे. इसमें मरीज को पसीना आता रहता है. लू में जब तक मरीज को पसीना आ रहा हो, यह अच्छा लक्षण है. पसीना यह बताता है कि अभी-भी तापमान नियंत्रण का मैकेनिज्म काम कर रहा है.



यह लू गर्म जगह से हटने, ठंडी हवा में एक-दो दिन आराम करने, पानी, इलेक्टोराल, आम का नमकीन पना और अन्य नमकीन शर्बत पीने मात्र से एक-दो दिन में ही ठीक हो जाती है.


तेज लू या हीट स्ट्रोक में क्या होता है?



हीट स्ट्रोक के तीन बड़े लक्षण हैं :

(1) तेज बुखार (मुंह या रेक्टल तापमान 40 डिग्री सेल्सियस यानी 104-105 डिग्री फैरिनहाइट या इससे ज्यादा होना)

(2) बदन इतना गर्म होने के बावजूद पसीना एकदम बंद हो जाए. त्वचा सूख जाए.

(3) विचित्र मानसिक लक्षण दिखें (मरीज बेहोश हो जाए, गफलत में हो या आंय-बांय बोल रहा हो)


इस मरीज की हालत बड़ी तेजी से बिगड़ती है. यदि अगले एक घंटे में उसके बढ़े हुये तापमान को नीचे नहीं लाया जाए तो मरीज के बचने की उम्मीद बहुत कम हो जाती है. फिर मरीज मल्टी आर्गन फेल्योर में जाकर शायद ही वापस लौट पाये.


यदि यह इतना खतरनाक है तो इस हीट स्ट्रोक का इलाज क्या है?


हीट स्ट्रोक के बारे में कुछ बातें ठीक से समझ लें.

(1) इसमें एक-एक मिनट कीमती होता है. जितनी जल्दी आप मरीज़ का बुखार कम करेंगे, उतनी ही उसकी जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी.

(2) बुखार उतारने की आम दवाएं (पैरासिटामोल आदि) ट्राई न करें क्योंकि ये दवाएं इस बुखार में बिल्कुल काम नहीं करेंगी.

(3) बुखार को एक घंटे के अल्प समय में ही कम करना है और इसके लिये युद्धस्तर पर कोशिश करनी पड़ती है.

(4) ऐसे मरीज को बहुत तगड़ी कोल्ड स्पॉन्जिंग की तुरंत आवश्यकता होती है. यह कोल्ड स्पॉन्जिंग दो-तीन तरह से की जा सकती है -


एक से पांच डिग्री के बर्फीले पानी से भरे बाथ टब में मरीज को गले तक डुबाकर रखना.या फिर मरीज के पूरे कपड़े उतार दें. उसे एक करवट से लिटा दें. उसके नंगे बदन पर ठंडे पानी (20 डिग्री सेल्सियस के आसपास) का स्प्रे डालें और तेज गति का बड़ा पंखा चलाते रहें.या फिर उसके पूरे कपड़े उतारने के पश्चात उसके नंगे बदन पर ठंडे पानी से भीगी पतली चादरें डालकर तेज पंखा चला दें.


स्पॉन्जिंग के अलावा यह भी करें :

(1) आइस केप में बर्फ भर लें. इस ठंडी आइस केप को शरीर पर चार जगहों पर रखें - मरीज के माथे और सिर पर, दोनों कांखों (एक्जिला) में, गले पर सामने की तरफ और दोनों जांघों के संधि स्थल पर, यानि जांघ और पेट के मिलने की जगह पर

(2) त्वचा की मालिश भी लगातार करते रहें

(3) मरीज यदि बहुत खराब हालत में आ रहा है (जहां बुखार न उतर रहा हो वहां) यदि सुविधा हो तो हम लोग ठंडे डायलाइजर द्वारा उसकी हीमोडायलेसिस भी करवा सकते हैं.

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :