बीते दस दिनों से अधिकतम तापमान करीब 45 डिग्री से उपर बना हुआ है। धूप ऐसी की त्वचा जला दे। रात को भी चैन नहीं। मगर सवाल ये है कि आखिर इतनी गर्मी क्या स्वभाविक तौर पर बढ़ रही हैं या इसका कोई विशेष कारण है। मौसम विशेषज्ञ इतनी गर्मी बढ़ने का एक कारण एसी और गाड़ी में प्रयोग होने वाली एसी को मान रहे हैं।
इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक फोटो में जिस तरह से दीवार पर एसी (एयर कंडीशनर) लगी हुई हैं, उसे देख मौसम विशेषज्ञों की बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। वहीं जहां पर पेड़ ज्यादा होते हैं वहां का अधिकतम तापमान भी खुली जगह से करीब पांच से छह डिग्री कम होता है।
सोशल मीडिया पर वायरल फोटो में यूजर्स ने भविष्य में पर्यावरण को लेकर बनने वाले हालात पर चिंता जाहिर भी की है। अलग-अलग तरह की टिप्पणियों में यूजर्स ने मानव जाति को चेताया है कि अब भी नहीं संभले तो भविष्य में सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। फोटो कहां की यह पता नहीं लग पाया है मगर फोटो को देखकर वर्तमान में बने हालातों को सहज ही समझा जा सकता है।
बढ़ते तापमान से शहरी क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि यहां बनी कंक्रीट की सड़कें और पक्के मकान दिन के समय सूर्य के प्रकाश की गर्मी को सोखते हैं और फिर ताप को छोडऩे लगते हैं, जिससे तापमान बढऩे लगता है। इस क्रिया से शहरों के तापमान में औसतन दो से चार डिग्री सेल्सियस वृद्धि की गणना विभिन्न शोधों में आंकी गई है। शहरों में अंधाधुंध एसी का प्रयोग मकानों को ठंडा तो करता है, लेकिन वह आसपास के तापमान में वृद्धि करने का काम भी करता है, क्योंकि इनमें प्रयोग होने वाली क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस ग्लोबल वार्मिंग में सहायक है। जहां दूर-दूर तक पेड़ नहीं हैं और बहुमंजिला इमारतें होने के
साथ साथ बड़ी संख्या में एसी और वाहन चल रहे हैं, वहां का तापमान बढऩा लाजिमी है।
एचएयू कृषि मौसम विज्ञान विभाग वैज्ञानिक डा. मदन खिचड़ ने कहा जिस क्षेत्र में वृक्षों की संख्या ज्यादा हो तो वहां एसी की आवश्यकता को 40 फीसद तक कम किया जा सकता है। पेड़ों की जड़ों में आद्र्रता भी अधिक रहती है, जिससे यहां तापमान कम रहता है। वृक्ष की पत्तियों से निकली जल वाष्प तापमान को कम कर देती है। पेड़ प्रदूषण कम करने के साथ-साथ तापमान को संतुलन करने में सहायक होते हैं।
यूजर राधी ने कहा पेड़ खत्म होते रहे और लोग इसी तरह ऐसी का प्रयोग करते रहे तो एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी समस्या ऑक्सीजन होगी। अंजली यूजर ने लिखा घरों में साज सजावट के लिए बन रहे फर्नीचर को देख हम यह नहीं देखते कि इसके लिए कितने पेड़ कटे होंगे। यूजर अश्वनी ने लिखा एसी की ठंडी हवा खाते हैं कभी एसी के पीछे खड़े होकर देखो तक पता लगेगा कि हम क्या कर रहे हैं। यूजर आयुष्मान ने लिखा यह फोटो कहीं की भी हो, मगर एक बात साफ है, एसी लगाकर आग उगलती दीवारें हम बनाते हैं और दोषी कुदरत को मानते हैं।
बता दें कि एक पेड़ कार्बन डॉइ ऑक्ससाइड सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक पेड़ साल भर में करीब 21.7 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और चार आदमियों को जरूरत होती है उतनी ऑक्सीजन छोड़ता है। ऐसे में पेड़ जीवनदाता हैं। वहीं एक अनुमान के अनुसार भारत देश में करीब 35 अरब पेड़ बचे हैं जो कि बाकि देशों की तुलना में कम हैं। पेड़ ऑक्सीजन के अलावा कई तरह की जड़ी बूटियां बनाने और प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करने में भी सहायक है।
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