सारे सरकारी स्कूल हाई-टेक बनाने वाला केरल देश का पहला राज्य बन गया है। यहां कक्षा 8वीं से 12वीं तक के 45 हजार क्लासरूम मेंं प्रोजेक्टर, स्क्रीन, लैपटॉप और इंटरनेट जैसी सुविधाएं है। यही वजह है कि 2018-19 में पिछले सत्र की तुलना में 40 हजार ज्यादा एडमिशन हुए हैं। जबकि 2016 तक 5 हजार स्कूल छात्रों की कमी से जूझ रहे थे। कुछ स्कूल बंद होने की कगार पर थे, लेकिन अब एडमिशन के लिए लंबी लाइनें लग रही हैं। अब सरकार ने इस साल 141 स्कूलों को विश्वस्तरीय बनाने का लक्ष्य रखा है।
राज्य के प्राथमिक स्कूलों को भी हाईटेक बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके तहत 9941 प्राथमिक स्कूलों में 23170 मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर, 55086 लैपटॉप और यूएसबी स्पीकर लगाए जाने हैं। स्कूलों को विकसित करने की जिम्मेदारी केरल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड टेक्नोलॉजी फॉर एजुकेशन (केआईटीई) के पास है। यह एक सरकारी एजेंसी है।
केआईटीई को देश के पहले आईटी स्कूल प्रोजेक्ट के लिए भी जाना जाता है। इसके विशेषज्ञों की एक टीम स्कूल का दौरा कर उसे बेहतर बनाने के लिए मास्टर प्लान तैयार करती है। इन सुधारों का असर रिजल्ट पर भी दिख रहा है। इस साल राज्य के 12,971 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी 100% बच्चे कक्षा 10 में पास हो गए। इनमें 7,216 सहायता प्राप्त स्कूल और 1060 गैर-सहायता प्राप्त
स्कूल हैं।
डायरेक्टरेट ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन के इंचार्ज जेसी जोसेफ कहते हैं, "स्मार्ट क्लासरूम के बाद अब स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बनाने की पहल शुरू की है। तीन सरकारी स्कूलों को इस हिसाब से तैयार किया जा चुका है। इनमें स्वीमिंग पूल भी बनाए गए हैं। इसके पीछे उद्देश्य राज्य में डूबने से होने वाली मौतों के प्रति बच्चों को सतर्क बनाना है।"
प्रोजेक्ट के पहले चरण में हर विधानसभा क्षेत्र के एक-एक सरकारी स्कूल यानी 141 स्कूलों में यह सुविधा दी जाएगी। उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट शिक्षा सत्र 2019-2020 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। स्कूलों को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का बनाने के लिए पांच करोड़ रुपए दिए गए हैं। सरकारी स्कूलों में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का सबसे अच्छा उदाहरण है- कालीकट का गवर्नमेंट वोकेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल फॉर गर्ल्स। 2008 तक यह स्कूल भी दूसरे सरकारी स्कूलों की तरह था, जहां न तो सुविधाएं थीं और न ही अच्छा रिजल्ट आता था। लेकिन अब यह स्कूल भारत के टॉप 5 सरकारी स्कूलों की लिस्ट में चौथे नंबर पर है। स्कूल में लैब, कैंटीन, खेल का मैदान, जिम, आधुनिक रसोई और वेस्ट मैनेजमेंट जैसी सुविधाएं हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम कई सालों से मलयालम था, लेकिन अब सरकार ने चुनिंदा स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम सेक्शन भी शुरू किए हैं। उल्लेखनीय है कि केरल कुल बजट का 16.5% शिक्षा पर खर्च करता है।
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