एक मुल्क जहाँ थर्ड जेंडर था पहले से सामान्य

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एक मुल्क जहाँ थर्ड जेंडर था पहले से सामान्य

Deepak Chauhan 07-05-2019 18:45:03

जेंडर एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही व्यक्ति अपनी लैंगिक पहचान को बताने में लग जाता है। लेकिन कितने ही ऐसे लोग है जिनको अपनी पहचान सामाजिक करने में कई समस्याऐ आती है। हालाँकि अब कई विकशित देशो में ऐसे लोगो को थर्ड जेंडर मानते हुए उनको उनकी वास्तविक पहचान सामाजिक तौर बताने और उसे कायम रखने के लिए कई फैसले ले चूका है, यहाँ तक की भारत जैसे देश ने भी भारतीय संविधान में धरा 377 को पूर्णतः स्वीकार करते हुए उनको उनका हक़ दिया है. लेकिन क्या ये आज के ज़माने में ही ऐसा समानता का फैसला लिया गया या इससे पहले भी कोई जगह थी जहाँ थर्ड जेंडर को समान मन गया। जी हाँ हम बात कर रहे है एक ऐसे द्धीप की जहा शुरुआती दिनों से ही वहाँ के लो सभी को सामान उप से स्वीकारते आये है, उस जगह का है गुना याला।

गुना याला, जिसे सेन ब्लास के नाम से भी जाना जाता है. यह पनामा के पश्चिमी किनारे पर एक द्वीपसमूह है. यहां पर क़रीब 300 छोटे-छोटे द्वीप हैं. इनमें से 49 ऐसे द्वीप हैं, जिन पर गुना याला के आदिवासी रहते हैं. ये आज भी अपने पूर्वजों की तरह जीते हैं. खजूर के पेड़ की छाल से बनी छतों वाले छोटे-छेटे लकड़ी के घरों में रहते हैं। गुना याला कई मायनों में पनामा और आस-पास के देशों से अलग है. ये एक स्वायत्त स्वदेशी इलाक़ा है. इनका अपना झंडा है, जिस पर काला स्वास्तिक का निशान है. मान्यता है कि ये निशान चारों दिशाओं को दर्शाता है. यानी ये अपने आप में सारी दुनिया को समेटे है। लेकिन गुना याला को जो चीज़ ख़ास पहचान देती है वो है सहिष्णुता और लिंग समानता. यानि यहां मर्द, औरत या थर्ड जेंडर के साथ भेदभाव नहीं होता। यहां लगभग पूरी आबादी महिलाओं की है।  ये हैरान करने वाली बात है।  लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां सिर्फ़ लड़कियों का ही जन्म होता है। यहां लड़के भी पैदा होते हैं। लेकिन, अगर वो बड़े होकर ओमेगिद बनना चाहते हैं तो उन्हें इसकी पूरी इजाज़त है। ओमेगिद यानी लड़कियों की तरह जीवन जीना। ये शब्द गुना याला की मूल भाषा का शब्द है। इस द्वीप पर थर्ड जेंडर का होना सामान्य बात है .यहां किसी को अपनी पहचान छिपाने की ज़रूरत नहीं होती।  अगर किसी लड़के में महिलाओं वाले लक्षण नज़र आने लगते हैं, तो, परिवार ख़ुद उसे महिलाओं की तरह रहने के तौर-तरीक़े सिखाने लगता है। 


गुना की पौराणिक परंपरा

उन्हें वो सभी काम सिखाए जाते हैं जो उनके समाज में महिलाएं करती हैं. मिसाल के लिए इस द्वीप की महिलाएं दस्तकारी के काम में माहिर हैं. ओमेगिदों को इन महिलाओं के साथ रखा जाता है, जहां वो उनसे तमाम हुनर सीखते हैं. सभी महिलाओं और ओमेगिदों को मर्दों की तरह अपने फ़ैसले लेने का पूरा अख़्तियार है.ब्राज़ील की साओ पाउलो यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर और रिसर्चर डिएगो माडी डियास के
मुताबिक गुना समाज मातृसत्तात्मक है. यहां बच्चों के अधिकारों का ख़ास ख़्याल रखा जाता है. उन्हें माहौल दिया जाता है कि वो अपने दिल की बात सुनें और ख़ुद फ़ैसला करें. लिहाज़ा अगर किसी बच्चे में महिला वाली भावना आ जाती है तो उसे रोका नहीं जाता. वो जैसा है, समाज में उसे उसी रूप में स्वीकारा जाता है। यहां देखा गया है कि अक्सर लड़कों में ही महिलाओं का रूप धारण करने की प्रवृत्ति ज़्यादा पैदा होती है. लड़कियों में लड़का बनने की ख़्वाहिश की दर बहुत ही कम है. लेकिन कोई लड़की अगर लड़का बन भी जाती है तो उसे भी समाज में उसी तरह स्वीकार किया जाता है, जैसे लड़के को लड़की बनने पर क़ुबूल किया जाता है। पनामा सिटी में एलजीबीटीक्यू लोगों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली नैन्डीन सोलिस ग्रेसिया का कहना है कि गुना में हमेशा ही ट्रांसजेंडर लोग रहे हैं. नैन्डीन का ताल्लुक़ भी गुना याला से है और वो ख़ुद भी ट्रांसजेंडर हैं. इतने बड़े पैमाने पर ट्रांसजेंडर होने का रिश्ता वो गुना की पौराणिक परंपराओं में देखी हैं. उनका कहना है कि गुना में इंसान की रचना को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। माना जाता है गुना याला में प्राचीन काल के जिस शख़्स ने ज़िंदगी जीने के क़ायदे-कानून बनाए वो ख़ुद मर्द और औरत दोनों था. उसकी बहन और छोटा भाई थर्ड जेंडर थे। 


महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमता समाज

क्रैब द्वीप गुना याला का टूरिस्ट एरिया है. यहां सभी दुकानों में महिलाएं देखने को मिलती हैं जो ख़ूबसूरत कशीदाकारी वाले कपड़े पहने होती हैं. वो एक अच्छे दुकानदार की तरह डील करती हैं और ग्राहकों से ख़ूब बातें भी करती हैं.गुना याला में शादी ब्याह की रस्में भी बाक़ी समाज से अलग हैं. यहां शादी के बाद दूल्हा रूख़सत होकर दुल्हन के घर जाता है. शादी के बाद पत्नी ही ये फ़ैसला करती है कि अब लड़का अपनी कमाई में अपने मां-बाप और भाई बहन को हिस्सेदार बनाएगा या नहीं.गुना समाज महिलाओं के इर्द-गिर्द ही घूमता है. यहां तक कि जश्न भी महिलाओं को ध्यान में रखकर ही मनाए जाते हैं. मिसाल के लिए यहां जश्न के तीन मौक़े अहम हैं. पहला है लड़की का जन्म, दूसरा लड़की की प्यूबर्टी यानी मासिक धर्म की शुरुआत और तीसरा लड़की की शादी. इन सभी मौक़ों पर छिछा नाम की बियर नोश की जाती है और नाच गाना होता है.गुना समाज की औरतें सोने के ज़ेवर पहनना पसंद करती हैं. इन ज़ेवरात के ज़रिए उन्हें समाज में अपनी स्थिति मज़बूत होने का एहसास होता है.गुना समाज में मर्द आम तौर पर मछुआरे, शिकारी या किसान बनते हैं जबकि महिलाएं टूरिज़म सेक्टर में ज़्यादा सक्रिय हैं. इसके अलावा वो दस्तकारी करती हैं, जिससे उन्हें मर्दों के मुक़ाबले ज़्यादा कमाई हो जाती है. गुना औरतें बड़े पैमाने पर विनी और मोला बनाती हैं जो टूरिस्टों के बीच काफ़ी पसंद किए जाते हैं और ख़ूब बिकते हैं। 

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