स्वच्छ भारत अभियान और SDMC का कचरे से भरा हुआ ट्रक

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स्वच्छ भारत अभियान और SDMC का कचरे से भरा हुआ ट्रक

13-06-2019 16:18:11

भाजपा सरकार के कदम रखते ही गाँधी जी के सपने को सच करने की पहल स्वच्छ भारत अभियान के रूप में सामने निकल कर आई. सरकार के वो बड़े-बड़े वायदे और कर्मचारियों की लापरवाही ने तो जैसे बने बनाये सफल अभियान पर पानी ही फेर दिया। आखिर वादों की भी कोई सीमा होती है क्योंकि लोगों को ऐसे सपना दिखाना जो असलियत में कभी पुरे नहीं हो सकते एक माईने में जुर्म के ही समान है पर जनता जनार्दन कितनी भी चतुर चालाक और बुद्धिमता से पूर्ण हो कहीं न कहीं बड़े बड़े मुद्दों को अनदेखा कर ही देती है. आज के इस वाकया को ही देख लीजिये, SDMC का ट्रक कूड़े कचरे से लदकर अपनी मंज़िल की ओर जा ही रहा था की अचानक एक दुर्घटना घटी. ये घटना सामान्य लगे पर गंभीरता से विचार करें तो पुरे अभियान की पोल खोलकर रख देती है. दरअसल हुआ यूँ कि SDMC का वो ट्रक गीत बजाते हुए जा रहा था की हम बनाएंगे मिलकर दिल्ली को एक स्वच्छ शहर करेंगे सपना साकार, और ऊपर से लोग अपने अपने घरों की बालकनी से उस ट्रक में कूड़ा फेंके जा रहे थे फिर हुआ कुछ ऐसा की देखा नहीं कहीं वैसा। उस ट्रक के पीछे एक छेद था जो भी लोग उसमे कूड़े से भरी पोटली फेंक रहे थे वो खुद ब खुद वापस सड़क पर गिरता जा रहा था और आलम तो देखिये वो ट्रक
अपनी ही धुन में मस्त चला ही जा रहा था. खैर ये गाँधी जी के स्वच्छता के सपने पर तो खरा नहीं उतर पाया पर उनकी इस बात को जरूर माना कि बन जाओ गाँधी जी के 3 बन्दर के समान न देखों कहीं न सुनों किसी न शब्दों का इस्तेमाल करो बस अपने ही धुन में मस्त कार्य करो.

सवाल न सरकार से करेंगे न कर्मचारी से सवाल तो जनता से है कि देखकर भी अनदेखा करना लोकतंत्र की किस नियम के तहत आता है? केवल वोट देना और सरकार को चुनना ही जनता का काम नहीं है जनता का काम है सरकार की योजनाओं और कार्यों का विश्लेषण करना ताकि अगली बार जब चुनाव हो तो आप सतर्क रहे. दूसरी सबसे जरुरी बात कि सरकार योजनाएं तो बना देगी पर उस योजना को जनता की बिना सहायता के पूरा ही नहीं किया जा सकता यदि आप उसमे सहयोगी नहीं होंगे तो आप उस योजना के सफल और असफल होने पर कोई सवाल नहीं उठा सकते क्योंकि भागीदारी से ही किसी भी लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है. वो गाना तो आपने सुना ही होगा कंधो से कंधे मिलते है कदमो से क़दमों से मिलते है दरअसल ये टीम वर्क की उस भूमिका को दर्शाता है जो श्रोता केवल गीत समझकर सुना करते है. तो ये थी आज की सत्य घटना पर आधारित एक कहानी जो एक गंभीर विषय को जन्म देती है. 

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