अगर भक्ति में श्रद्धा है तो नहीं रखें ईश्वर के सामने कोई शर्त या इच्छा

पुलिस ने लेवी मांगनेवाले दो अपराधियों को हथियार सहित दबोचा Karauli : श्री महावीर जी में भगवान जिनेन्द्र की निकली रथ यात्रा पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बीच स्थित नहरों का जंक्शन है खास 29 को कल्पना सोरेन गांडेय से करेगी नामांकन बीजापुर के आराध्य देव चिकटराज मेले का हुआ समापन उत्तराखंड: चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लगातार जारी कांग्रेस प्रत्याशी ने किया नामांकन फॉर्म जमा - झाबुआ रामपुर पहुंचे संजय सिंह, कहा- इंडिया गठबंधन की बनेगी सरकार दंतेवाड़ा 18 नक्सली सरेंडर हमीरपुर में मतदान बढ़ाने का लिया गया संकल्प मऊ में मतदान के लिए दिलाई गई शपथ गर्मियों में बढ़ गई है गैस और अपच की समस्या Dream Girl 3 में अनन्या पांडे नहीं सारा अली खान नजर आएगी Liquor Shop Closed: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में आज से 26 अप्रैल तक बंद रहेंगे ठेके PM-चुनावी दौरा-प्रदेश मतदाता जागरूकता-प्रदेश पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे यात्रियों को किफायती मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराएगा आज का राशिफल पीलीभीत में सड़क सुरक्षा जागरूकता को स्कूलों में दिलाई गई शपथ चुनाव प्रचार समाप्त

अगर भक्ति में श्रद्धा है तो नहीं रखें ईश्वर के सामने कोई शर्त या इच्छा

12-07-2019 14:51:45

अधिकतर लोग भक्ति करते हैं, लेकिन उनकी भक्ति किसी इच्छा पूर्ति के लिए होती है। वे भक्ति के बदले भगवान से कुछ चाहते हैं, लेकिन ये सच्ची भक्ति नहीं होती है। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। जिसमें ये बताया गया है कि सच्चे भक्त को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

प्रचलित कथा के अनुसार पुराने समय में किसी राजा के महल में एक नया सेवक आया। राजा ने उससे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? सेवक ने जवाब दिया कि महाराज जिस नाम से आप बुलाएंगे, वही मेरा नाम होगा।

इसके बाद राजा ने पूछा कि तुम्हें खाने में क्या पसंद, सुबह-शाम क्या खाओगे? सेवक ने कहा कि आप जो खाने को देंगे, वही मैं खा लूंगा।

राजा ने अगला सवाल पूछा कि तुम्हें किस तरह के वस्त्र पहनना पसंद
हैं?

सेवक ने कहा कि राजन् जैसे वस्त्र आप देंगे, मैं खुशी-खुशी धारण कर लूंगा।

राजा ने पूछा कि तुम कौन-कौन से काम करना चाहते हो?

सेवक ने जवाब दिया कि जो काम आप बताएंगे मैं वह कर लूंगा।

राजा ने अंतिम प्रश्न पूछा कि तुम्हारी इच्छा क्या है?

सेवक ने कहा कि महाराज एक सेवक की कोई इच्छा नहीं होती है। मालिक जैसे रखता है, उसे वैसे ही रहना पड़ता है।

ये जवाब सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और उसने सेवक को अपना गुरु बना लिया। राजा ने सेवक से कहा कि आज तुमने मुझे बहुत बड़ी सीख दी है। अगर हम भक्ति करते हैं तो भगवान के सामने किसी तरह की शर्त या इच्छा नहीं रखनी चाहिए। तुमने मुझे समझा दिया कि भगवान के सच्चे भक्त और सेवक को कैसा होना चाहिए।


  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :