दिल्ली के दशहरा में इस बार एक और खास चीज होने जा रही है. दिल्ली के सबसे पुराने लाल किला के तीन रामलीला धार्मिक रामलीला कमेटी, नवश्री धार्मिक रामलीला कमेटी और लव कुश रामलीला में रावण दहन के समय पटाखों का इस्तेमाल नहीं होगा.
इसके साथ ही रामलीला मैदान में हर साल की तरह बड़े पैमाने पर रावण दहन की तैयारी है. इस बार रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले तो होंगे ही बुराई की प्रतीक का एक चौथा पुतला भी होगा, सिंगल यूज प्लास्टिक का. दिल्ली में प्रदूषण के गिरते स्तर को देखते हुए इको फ्रेंडली त्योहार मनाने का चलन जोर पकड़ रहा है. इस बार कम से कम 3 जगहों पर रावण दहन पर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे.
लव कुश रामलीला समिति रावण दहन में पटाखों का इस्तेमाल नहीं करेगी बल्कि उसकी जगह पटाखों की आवाज के लिए साउंड इफेक्ट का इस्तेमाल किया
जाएगा.
इसी तरह नोएडा की 3 रामलीला समितियों ने भी शानदार पहल की है. नोएडा स्टेडियम सेक्टर 21 A श्री सनातन धर्म रामलीला समिति, सेक्टर-62 में श्री राम मित्र मंडल और सेक्टर-46 के श्रीराम लखन धार्मिक लीला समिति दशहरा पर पॉलिथीन के रावण का पुतला बना रही है. दिलचस्प बात यह है कि प्लास्टिक के ये पुतले जलाए नहीं जाएंगे.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए द्वारका श्रीरामलीला सोसाइटी तैयारियों को युद्धस्तर पर अंतिम रूप देने में लगा है.
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अलग-अलग जगहों पर दशहरा मनाते रहे हैं. 2014 में दिल्ली के रामलीला मैदान में वो रावण दहन में शामिल हुए तो 2015 में तिरुपति में मौजूद थे. 2016 में उन्होंने लखनऊ में दशहरा मनाया. 2017 और 2018 में दिल्ली के रामलीला मैदान में रावण दहन में शामिल हुए और इस बार उन्होंने दिल्ली के द्वारका को चुना है.
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